रविवार, मार्च 08, 2009

नीतीश का पब्लिक स्टंट

बिहार सरकार विकास के रास्ते दिल्ली की कुर्सी तक पहुंचना चाहती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास पुरूष के रूप में जनता के सामने आना चहते हैं। उन्होंने कह दिया है कि भले ही ग़्क़्ॠ का मुद्दा कुछ भी हो, लेकिन बिहार सरकार विकास के नाम पर वोट मांगेगी। उन्हें वि·ाास है कि उनके विकास कार्यों से सूबे की जनता संतुष्ट है। अब देखना दिलचस्प होगा कि नीतीश सरकार का विकास आम जनता को कहां तक सतुष्ट कर पाया है।
मुख्यमंत्री बनने के बाद नीतीश कुमार ने वो हर एक हथकंडा अपनाया, जिससे वह जनता और मीडिया, दोनो के नज़रों में रह सके। इसमें कुछ फ़ैसले ऐसे भी थे जो कि अनोखा, अहम और पहला था। सब से पहल नीतीश कुमार ने जनता दरबार लगाना शुरू किया। जिससे उन्हें काफी लोकप्रियता मिली। दरबार में अच्छे खासे भीड़ जमा होता था। लोग अभी भी अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं। इसके बाद सरकारी ऑफिस का समय बदल दिया गया। घूसखोरों पर ग़ाज गिरी। आम जनता काफी खुश हुआ। लेकिन घूस तो फेवीकॉल के जोड़ की तरह लगा हुआ है। जो आसानी से नहीं छूटता। फिर सूचना का अधिकार के तहत लोगों तक टेलिफोन के ज़रिये सूचना देने का फ़ैसला किया गया। ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना। यह अलग बात है कि सूचना सटीक और सही समय पर नहीं मिलता है। लेकिन इससे बिहार सरकार की लोकप्रियता में काफी इजाफा हुआ।
इसी कड़ी में नीतीश कुमार ने एक ऐसा अनोखा काम किया जो कम से कम बिहार मे नहीं सोचा जा रहा था। मुख्यमंत्री गांव गांव जा कर लोगों से मिले। उन्होंने बेगुसराय में तो मंत्रीमंडल की मिटिंग भी कर डाली। उन्होनें लोगों की समस्यायें सुनी। त्वरित कार्रवाई का आदेश भी दिया। यहां तक की सभी बड़े अफसरों का मोबाइल नंबर भी सार्वजनिक कर दिया गया ताकि लोग अपनी समस्यायें टेलिफोन मार्फत भी सरकार तक पहुंचा सके। वैसे आलोचकों को इसमें भी बुराई नज़र आई। देखने का अपना अपना नज़रिया होता है।
इतने पर भी मुख्यमंत्री नहीं रूके। कभी माफिया आ अपहरणकारी का अड्डा कहा जाने वाला पटना में मुख्यमंत्री रिक्सा की सवारी कर सब को चौंका दिया। और लोगों को संदेश दिया कि अब पटना सुरक्षित और विकासशील है।
इस सब के बावजूद राज्य का एक बहुत बड़ा तबका, जो बाढ़ से त्रासित है वह सरकार से खफा है। यह अहसास नीतीश को भी है। इसलीय वह इस त्रासदी का दोषारोपण प्रकृति आ केन्द्र सरकार पर करने से नहीं चुकते। खैर, जो भी हो परन्तु एक बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भले ही नीतीश सरकार जनता की अपेक्षाओं पर पूर्ण रूप से खड़े नहीं उतरे हों पर उन्होंने बिहार की छवी को जरूर बदल दिया है।

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