tag:blogger.com,1999:blog-48431163889370943282024-03-13T10:00:32.282-07:00एकAnonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.comBlogger105125tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-25854329367540971582015-02-11T10:28:00.001-08:002015-02-11T10:45:54.863-08:00दिल्ली विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div style="text-align: justify;">
फरवरी 2015 में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड कायम हुए। वोटिंग से लेकर काउंटिंग दिन तक रिकॉर्ड बनते रहे। दिल्ली में पहली बार चुनाव के घोषणा होने के इतने कम दिनों में विधानसभा का चुनाव हुआ। दिल्ली में पहली बार 67 फीसदी वोटिंग हुई थी। जो पिछली बार की अपेक्षा एक फीसदी अधिक थी। वोटिंग दिन बूथ पर लगी भीड़ को देखकर ही अंदाजा लग चुका था कि इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग होगी। <br />
<br />
इस बार महज 20 दिन के अंदर तमाम राजनैतिक पार्टियों ने 21 हजार 700 चुनावी रैलियां की। जबकि 18 सौ से ज्यादा रैलियों की अनुमति चुनाव आयोग ने नहीं दी। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। <br />
<br />
पहली बार दिल्ली में वोटर लिस्ट में 1,33,09,078 मतदाताओं के नाम दर्ज थे। <br />
<br />
दिल्ली में पहली बार किसी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर दर्ज की। वो भी उस पार्टी ने जो जिसका जन्म महज सवा दो साल पहले हुई थी। आम आदमी पार्टी दिल्ली में दूसरी बार चुनाव लड़ रही थी। पिछली बार विधानसभा का चुनाव लड़ी थी। उसके बाद लोकसभा का चुनाव और फिर विधानसभा का चुनाव।<br />
<br />
इस बार दिल्ली विधानसभा में सबसे ज्यादा युवा चुनकर पहुंचे हैं। ज्यादातर विधायकों की औसत आयु 40 साल के नीचे हैं। सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक इस बार दिल्ली विधानसभा पहुंचे हैं।<br />
<br />
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि 15 साल तक लगातार सत्ता पर काबिज रहनेवाली पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई। कांग्रेस के 70 में से 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यहां तक कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की भी जमानत जब्त हो गई। जिस पार्टी की देशभर में लहर थी। जो एक के बाद एक राज्य जीत रही थी। वो दिल्ली में महज तीन सीटों पर सिमट गई।<br />
<br />
दिल्ली में पहली बार पूर्वांचल के उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। पहली बार बिहार से ताल्लुक रखनेवाले 5 विधायक एक साथ विधानसभा में रहेंगे।<br />
<br />
देश में पहली बार हो रहा है जब कोई मुख्यमंत्री खुद रेडियो पर एड देकर अपने शपथग्रहण समारोह में लोगों को बुला रहा है। शपथ ग्रहण समारोह 14 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा। जहां करीब एक लाख लोगों के लिए व्यवस्था की गई है।<br />
<br />
इस बार विधानसभा चुनाव में 673 उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें सिर्फ 19 महिलाएं थी। जिसमें 6 महिलाओं ने जीत दर्ज की। ये सभी महिलाएं एक ही पार्टी 'आप' की उम्मीदवार थीं। </div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-28153533622434324402012-07-09T22:26:00.001-07:002012-07-09T22:26:12.374-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
you can find me on <a href="http://www.koilakhexpress.blogspot.com/">http://www.koilakhexpress.blogspot.com/</a>.<br />
thanx.</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-88110571534243435172012-07-05T11:46:00.001-07:002012-07-05T11:46:21.585-07:00अखिलेश के फैसले पर सवाल<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;">महज आठ साल का अनुभव
और विरासत में मिली राजनीति के आसरे पांच कालिदास मार्ग तक का सफर तय करनेवाले अखिलेश
यादव ने बतौर मुख्यमंत्री सौ दिनों के दरम्यान जो दो बड़े फैसले लिये उसे उन्हें
चौबीस घंटे के भीतर बदलना पड़ा। उन्हें अपने ही बातों से मुकरना पड़ा। नेता के लिए
फैसले में फेरबदल कोई मायने नहीं रखता, लेकिन जिन लोगों की अखिलेश यादव से उम्मीदे
हैं, उन्हें जरूर झटका लगा है।</span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> अखिलेश यादव के दो बड़े बेतुके फैसले ने उनकी
परिपक्वता पर सवाल खड़ा कर दिया है । जिस राज्य की आधी जनसंख्या को भरपेट खाना
नहीं मिल रहा। तनभर कपड़े नहीं हैं । सड़क, स्वास्थ्य से लेकर बुनियादी सुविधा के
नाम पर कुछ भी नहीं है। इंसेफेलाइटिस से मर रहे बच्चों के लिए कोई उपाय खोजने की
बजाय सरकार अगर माननीयों के लिए लक्जरी गाड़ी खरीदने का ऐलान कर देता है, तो उसका
चौतरफा निंदा होना लाजिमी है। और यही हुआ। जिसके बाद अखिलेश यादव को अपने फैसले से
मुकरना पड़ा। इससे पहले मॉल को सात बजे के बाद बिजली नहीं देने के फैसले के बाद भी
कमोबेश ऐसी ही स्थिति हुई थी। अखिलेश यादव को काफी किरकिरी झेलनी पड़ी । </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> ऐसे में अब सवाल
उठने लगा है कि क्या अखिलेश यादव अपरिपक्व मुख्यमंत्री हैं </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">?</span></b><b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> क्या वो फैसला लेने में जल्दबाजी करते हैं </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">?</span></b><b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> क्या अखिलेश की आड़ में कोई और फैसला ले रहा है </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">? </span></b><b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> या फिर
वो राजनीतिक नफा नुकसान का हिसाब लगाये बगैर प्रशासनिक अधिकारियों के कहने पर
फैसला लेते हैं</span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"> ?</span></b><b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> 38 साल के अखिलेश यादव जब साइकिल पर चढ़कर लोगों
से वोट मांगने सड़क पर निकले, सच्चाई सी दिखनेवाले वादे किये तो तेज तर्रार युवा
नेता को देखकर लोग मुलायम राज को भूल गए । पुरानी सरकार से आजिज लोगों को लगा कि
अखिलेश कुछ ऐसा करेंगे, जिससे उत्तर प्रदेश का वो मान सम्मान फिर वापस लौटेगा, जो
पिछले चालीस सालों मे कहीं खो गया । लेकिन सत्ता मिलते ही कमान घाघ समाजवादियों के
पास चलागया । अखिलेश बेबस और लाचार दिखने लगे। चाहे फिर वो सपा कार्यकर्ताओं पर
अंकुश लगाने की बात हो, मंत्रिमंडल गठन की बात या फिर प्रशासनिक फेरबदल की ।</span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> दरअसल अखिलेश यादव के सीएम बनने के बाद उन्होंने
ऐसा कोई फैसला नहीं लिया, जिससे अपराधियों में खौफ हो । कमोबेश हर एक दो दिन के
बाद रेप की ख़बर सामने आती है। हत्या, लूट, छिनौती जैसी घटनाएँ आम है । अखिलेश के
आदेश के बावजूद समाजवादी पार्टी के निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की गुंडई बदस्तूर
जारी है। यूं कहें कि बिगड़ैल सपाइयों पर भी अखिलेश लगाम नहीं लगा पाये। जिससे
पार्टी की छवि सुधर सके। मुलायम राज से बेहतर स्थिति अभी तक दिखी नहीं है।</span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> जब प्रशासनिक अधिकारियों की फेरबदल की बात हुई
तो, भी वही चेहरा सामने आया, जो मुलायम राज में हुआ करता था। चाहे वो मुख्य सचिव
हो या नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी । न तो दाग़ का ख्याल हुआ और न ही सम्मान का। ऐसे
में एक बात तो साफ होता है कि सबकुछ अखिलेश यादव के मनमुताबिक नहीं हो रहा ।
क्योंकि चुनाव के दौरान की गई बातों को याद करें तो अखिलेश यादव को ये पूरा अहसास
था, कि लोग पिछले मुलायम राज से खुश नहीं थे । इसलिए उन्होंने इस बार युवाओं के
जरिए सत्ता में आने की बात की । वादा किया कि वो कुछ गलत नहीं दोहराया जाएगा जो
मुलायम राज में हुआ था। मंत्रिमंडल गठन में भी वैसा ही दिखा । वही पुराने चेहरे।
जेल की सजा काट चुका निर्दलीय विधायक जेल मंत्री बना। और बहुत कुछ। </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Mangal","serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%; mso-ascii-font-family: Calibri; mso-ascii-theme-font: minor-latin; mso-bidi-font-family: Mangal; mso-bidi-theme-font: minor-bidi; mso-hansi-font-family: Calibri; mso-hansi-theme-font: minor-latin;"> कंप्यूटर और लैपटॉप
के जरिये समाजवाद की नई परिभाषा गढ़नेवाले अखिलेश यादव अगर रॉल मॉडल बनना चाहते
हैं तो उन्हें कड़े फैसले लेने होंगे। परिवारवाद और दोस्ती को दरकिनार कर राज्य के
हित में ऐसा सोचना होगा, जिससे लोगों में उनके प्रति विश्वास कायम रहे। क्योंकि उन्हें अभी लंबी दूरी तय करनी है। </span></b><b><span style="font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-28369530672195970992012-06-28T22:10:00.003-07:002012-06-28T22:10:12.817-07:00मैं बेटी हूं<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
मैं बेटी हूं<br />
प्यारी सी<br />
नन्हीं सी<br />
छोटी सी<br />
सब मुझे<br />
दुलारते हैं<br />
पुचकारते हैं<br />
गोद में बिठाते हैं<br />
मेरे साथ खेलना चाहते हैं<br />
मेरी मुस्कान पर, हंसते हैं<br />
मेरी आह पर, तड़पते हैं<br />
फिर क्यों मेरी ही जैसी<br />
मेरी बहनों से<br />
भेदभाव करते हैं<br />
क्यों उन्हें<br />
जन्म से पहले मार देते हैं ........ ?<br />
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-41903900809529445922012-06-24T02:08:00.002-07:002012-06-24T02:08:42.559-07:00धर्मनिरपेक्षता तो बहाना है.....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="text-align: justify;">
पिछले कुछ दिनों में बीजेपी को लेकर जदयू के तेवर इतने तल्ख हो चुके हैं कि दोनों के रिश्ते पर बन आई है....सोलह साल का साथ कभी भी खत्म हो सकता है...गठबंधन में धर्मनिरपेक्षता की गांठ पड़ चुकी है...</div>
<div style="text-align: justify;">
आखिर नीतीश कुमार धर्मनिरपेक्षता की वो कौन सी घेरा बना रहे हैं जिसमें लालकृष्ण आडवाणी, डॉक्टर मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती सरीखे नेता तो आते हैं लेकिन नरेन्द्र मोदी नहीं...बाबरी मस्जिद ढांचा गिराने के आरोपी आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने में कोई आपत्ति नहीं है,,,लेकिन नरेन्द्र मोदी बर्दाश्त नहीं....और सबसे अहम बात कि कट्टरवाद के कोख से जनमे बीजेपी के साथ रहने में भी नीतीश कुमार को कोई गुरेज नहीं है.....</div>
<div style="text-align: justify;">
दरअसल नीतीश कुमार जो धर्मनिरपेक्षता की परिभाषा गढ़ रहे हैं, उसे रानीतिक तौर पर समझना होगा... 1996 से लेकर 2005 तक नीतीश के लिए बीजेपी मजबूरी थी...क्योंकि नीतीश कुमार उस हैसियत में नहीं थे कि वो बीजेपी से इतर अपनी पहचान बना सके.....नीतीश उस वक्त पटना का सपना देख रहे थे...बिहार में कांग्रेस की स्थिति बढ़िया थी नहीं....और लालू के खिलाफ बीजेपी ताल ठोक रही थी...ऐसे में नीतीश कुमार का बीजेपी के साथ गलबहियां करना मजबूरी थी...ऐसे में अगर 2002 में गुजरात दंगे के वक्त रेल मंत्री रहते नीतीश का मोदी के खिलाफ कुछ न बोलना चौंकाता नहीं है....2010 तक मोदी को लेकर नीतीश कुमार के मन में कोई आपत्ति नहीं थी....लेकिन 2010 चुनाव में 242 सीट वाले विधानसभा में 115 सीट हासिल करने के बाद नीतीश कुमार को नरेन्द्र मोदी खटने लगे....गौर करनेवाली बात है कि 2010 में बिहार में ऐतिहासिक जीत के बाद नीतीश कुमार को लेकर प्रधानमंत्री की बात होने लगी,....उन्हें लगने लगा है कि अगर गुजरात के रास्ते मोदी दिल्ली का सपना देख सकते हैं तो फिर बिहार के जरिये मैं क्यों नहीं....और दिल्ली पहुंचने में सबसे बड़ा रोड़ा मोदी बन सकते हैं....राजनीति के शातिर खिलाड़ी नीतीश कुमार गुजरात दंगों का दाग दिखाकर मोदी को रास्ते से अलग करने में लग गये.... </div>
<div style="text-align: justify;">
जब जब दो मुख्यमंत्रियों की तुलना होती है तो आमने-सामने नीतीश और मोदी होते हैं.....और जानकार दोनों में मोदी को ही बेहतर आंकते हैं...कहीं न कहीं नीतीश को ये बातें खटकती है....बिहार को बदलने का दावा करनेवाले नीतीश कुमार पिछले सात सालों में कागजी आंकड़ों से इतर वो कुछ नहीं कर पाये जो जिससे गुजरात की जनता से बेहतर बिहार की जनता महसूस कर सके....ऐसे में नीतीश कुमार को लगता है कि जो छवि बनाना चाहते हैं वो बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने के बाद ही हो सकता है....और इसके लिए कांग्रेस से मिलना ही फायदेमंद रहेगा... </div>
<div style="text-align: justify;">
एक और अहम बात....नीतीश कुमार ये बात अच्छी तरह जानते हैं कि अगर बिहार में बने रहना है कि मुस्लिमों को नाराज नहीं कर सकते....क्योंकि सामने लालू खड़े हैं...मुस्लिमों के लिए मोदी का विरोध करना भी नीतीश के लिए मजबूरी है......यही कारण है कि धर्मनिरपेक्षा की वो परिभाषा गढ़ रहे हैं,,,,जिसमें दूर दूर तक नरेन्द्र मोदी फिट ना बैठ सके......</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-30035386033725003732012-06-18T00:39:00.000-07:002012-06-18T00:39:08.282-07:00मुलाकात ( लप्रेक )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="text-align: justify;">
इको पार्क । रोमांस करने का सबसे फेमस जगह । जहां शहर की कमोबेश हर जोड़ियां पहुंचती है । यहीं तय हुआ था दोनों का मिलना । लगभग सालभर से दोनों के बीच बातें होती थी । पहलीबार होंगे आमने-सामने । मुद्दतों का इंतजार । कोई इन दोनों से पूछे । आमीन ! ।</div>
<div style="text-align: justify;">
दोनों पार्क पहुंचे । एक बेंच पर जाकर बैठ गये । लगभग दो गज की दूरियों के बीच दोनों बैठे थे । दोनों की आंखों में एक अजीब सी चमक । खाने के लिए चिप्स लाया और फिर फ्रूटी । बातें शुरू हुई । पहली मुलाकात से लेकर अब तक सारी बातें । प्यार, परिवार, पढ़ाई...। और मुस्कुराहटों के बीच शादी तक की बातें । </div>
<div style="text-align: justify;">
फिर दोनों टहलने लगे । चलते-चलते । दोनों एक दूसरे में लिटपी जोड़ियों को देखते । कभी-कभी मुस्कुराते हुए दोनों की नज़रें मिल जाती । दोनों झेंप जाते । </div>
<div style="text-align: justify;">
फिर शाम हो गई । घर जाने का वक्त । अचानक दोनों की आंखें सूनी हो गई । क्योंकि ये पहली और आखिरी मुलाकात थी । चंद मिनटों की मुलाकात । दो पल का साथ । छोड़ गई थी जिंदगी भर के लिए सौगात । </div>
<div style="text-align: justify;">
अब शायद ही कभी मिले- लड़की</div>
<div style="text-align: justify;">
हां- लड़का</div>
<div style="text-align: justify;">
'आपसे चंद लहमों की मुलाकात का ये अमूल्य तोहफा जिंदगी की गुलदस्ते में ताउम्र सजा के रखूंगा'</div>
<div style="text-align: justify;">
मैं भी- लड़की</div>
<div style="text-align: justify;">
दिल में एक अजीब सा अहसास लिये दोनों अपने अपने घरों की ओर चल दिये । </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-82654044509016599902012-06-13T02:15:00.002-07:002012-06-13T02:16:50.933-07:00बोली का रूतबा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="MsoNormal" style="text-align: justify;">
<span class="Apple-style-span" style="font-family: Aparajita, sans-serif;"><span class="Apple-style-span" style="font-size: 27px; line-height: 31px;"><b></b></span></span><br />
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<span class="Apple-style-span" style="font-family: Aparajita, sans-serif;"><b><b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">भाषा विनम्र होती है । बोली उदंड । <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>भाषा अनुशासित रहती है, अभिभावक की देखरेख में
रहनेवाले बच्चों की तरह । और बोली बिना अभिभावक वाले बच्चों की तरह । पूरी तरह से
बेलगाम । जो किया वही ठीक है । इयाकरण-व्याकरण से कोई मतलब नहीं । <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>जैसा बोला</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">, <span lang="HI">वैसा
ही सही । <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>किसी की परवाह नहीं । किसी के बाप
के राज में नहीं रहते । क्यों सहेंगे किसी का डंडा । क्यों चलेंगे किसी के कहे
मुताबिक । सब कुछ अपने मने से । सीना ठोंककर । पसंद करना है तो करो</span>, <span lang="HI">वरना भाड़ में जाओ ।</span><o:p></o:p></span></b></b></span></div>
<span class="Apple-style-span" style="font-family: Aparajita, sans-serif;"><b>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>जिस भाषा से मन हुआ उसी से शब्द उठा लिये । रोक
सको तो रोक लो । देख लेंगे । नहीं हुआ तो अपना ही शब्द बना लिये । बोली में <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>बड़ी खासियत होती है शब्द निर्माण की । ऐसे ऐसे
शब्द बनते हैं कि भाषा सोच भी नहीं सकती । सुनकर दंग रह जाती है । बनावटी शब्दों
पर बोली ऐसी तगड़ी पॉलिश करती <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>है कि कुछ
दिनों बाद भाषा भी उसकी चमक में खो जाती है । जैसे पहले उद्दंड लड़के को देखकर अनुशासित
और तथाकथित पढ़नेवाले बच्चे भी सिगरेट पीने लगते हैं ।</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-autospace: none;">
<b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span><span lang="HI"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>बोली अपना अस्तित्व खुद बनाती है । इसलिए बेबाक होती
है । ठेंठ । मुंहफट्ट । ज्यादा सोचती नहीं । किसी के पीछे भागती नहीं । बोली का
इफेक्ट भी जबर्दस्त होता है । पटना में बोली का चलन सबसे ज्यादा है । हर सार्वजनिक
जगहों पर बोली का कब्जा है । रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, ऑटो स्टैंड, सरकारी दफ्तर
या फिर डॉक्टर के क्लिनिक<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>पर । व्याकरण पर
सवार होकर <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>भाषा <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>बोलने से काम नहीं होगा । घिघियाते रहेंगे, कोई
नहीं सुनेगा । <span style="mso-spacerun: yes;"> </span>जो काम करवाने में भाषा के
पसीने छूट जाते हैं, उसे बोली यूं करवा लेती है । रूतबे में रहती है बोली । और जो
बोली का रूतबा रहता है, वहीं इसे बोलनेवालों का । यही कारण है कि इसकी लोकप्रियता
भी जबर्दस्त होती है ।</span><o:p></o:p></span></b></div>
</b></span></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-28001655859191178602012-06-09T23:38:00.002-07:002012-06-09T23:38:08.652-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
गिरना पड़ता है संभलने के लिए<br />
लड़ना पड़ता है जीतने के लिए<br />
वक्त किसी का नहीं होता<br />
वक्त के साथ चलना पड़ता है<br />
आगे बढ़ने के लिए...<br />
हर राह पर रोड़े हैं यहां<br />
मुश्किलें ज्यादा,<br />
आराम थोड़े से हैं यहां<br />
हर शब्द बहुअर्थी हैं<br />
सोचना पड़ता है समझने के लिए...<br />
हर चेहरा फरेबी है यहां<br />
हर शख्स मतलबी है यहां<br />
पग पग पे यहां साजिश है<br />
धोखा है,<br />
संभलना पड़ता है मिलने के लिए ....<br />
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-61802554460411616292012-06-06T01:00:00.000-07:002012-06-06T01:00:01.512-07:00भरोसे का टूटना....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
भरोसा जब टूटता है<br />
तो उम्मीदें बिखरती है<br />
सपने तड़पने लगते हैं<br />
अपने से दिखने वाले<br />
अनजाने लगने लगते हैं<br />
दर्द होता है<br />
अफसोस होता है<br />
और फिर<br />
ख्वाबों का तूफान<br />
अचानक खामोश हो जाता है ।।<br />
<div>
<br /></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-36129690912385573552012-06-03T02:44:00.000-07:002012-06-03T02:44:13.546-07:00नज़रों का यूं मिलना..<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
वो मेरी ओर देखती है<br />
मैं उसकी ओर देखता हूं<br />
फिर जो होता है<br />
वो सुखद अहसास देता है<br />
न हाथ हिलते हैं<br />
न होंठ खुलते हैं<br />
सिर्फ नज़रों से<br />
नज़र की बात होती है<br />
ये सिलसिला<br />
पल दो पल ही चलती है<br />
मगर बहुत ख़ास होती है<br />
नज़रों का यूं मिलना<br />
इत्तेफाक होता है<br />
पर यही इत्तेफाक तो<br />
इतिहास बनता है ।।</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-51496453754376274522012-06-02T20:53:00.003-07:002012-06-02T21:49:40.263-07:00हत्यारों का मुखिया या वीर ब्रह्मेश्वर<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div style="text-align: justify;">
वही हुआ जिसकी आशंका थी । ब्रह्मेश्वर नाथ सिंह ऊर्फ ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या कर दी गई । जो जैसा करता है, वो वैसा ही पाता है । ब्रह्मेश्वर सिंह की जो शख्सियत थी, या कहें कि उनकी जो छवि थी, उसका ऐसा ही अंत होता है । सत्तर साल के बूढे शरीर में चालीस गोलियां दाग दी गई । 273 हत्याओं का मुखिया पलभर में ढेर हो गया । </div>
<div style="text-align: justify;">
आप ब्रह्मेश्वर सिंह को हत्यारों और नरसंहारों का मुखिया कह सकते हैं । आप उन्हें बेदर्द और बेदिल इंसान कह सकते हैं । लेकिन सवाल उठता है कि आखिर बरमेसर नाम का दीनहीन, दुबला पुतला शरीर वाला इंसान हत्यारों का सरदार कैसे बन गया ? आखिर कैसे तथाकथित ऊपरी तबके के लोग उसके पीछे दौड़ पड़े ? वो कैसे बुद्धिजीवियों के बड़े तबके का हीरो बन गया ? बरमेसर मुखिया कोई पेशेवर अपराधी नहीं था । वो पैसों के लिए या फिर स्वयं स्वार्थ पूर्ति के लिए ऐसी सेना नहीं बनाई, जो लोगों की बेरहमी से हत्या करती थी । </div>
<div style="text-align: justify;">
दरअसल हालात ने बरमेसर को ब्रह्मेश्वर मुखिया बना दिया । शातिर और खौफनाक दिमाग की करतूत एक तरह से प्रतिकार था । जिस समय ब्रह्मेश्वर मुखिया की अगुवाई में रणवीर सेना एक के बाद एक नरसंहारों को अंजाम दे रही थी, उस वक्त बिहार में समाजिक और राजनीतिक समीकरण कुछ यूं थे, जिसका परिणाम मौते होती थी । दरअसल तथाकथित निचले तबकों का एक समूह सरेआम सत्ता को चुनौती दे रहा था । जमींदारों की जमीन पर जबरन कब्जा कर रहा था । खेतों से फसल लूट लिये जाते थे । जमींदारों की बहू बेटियों की इज्जत खेला जाता था । सरकार मौन थी । प्रशासन बेपरहवाह था । पुलिस कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही थी । छोटे छोटे कई संगठन पैदा हो गये थे । एमसीसी जैसे संगठनों के हौसले बुलंद होते जा रहे थे । फेल होती व्यवस्था के बीच इन्हीं संगठनों से निपटने और अपनी बहू बेटियों की इज्जत बचाने का बीड़ा उठाया ब्रह्मेश्वर सिंह ने । उन्होंने रणवीर सेना के नाम से एक संगठन बनाया । जिसमें कई छोटे छोटे संगठन शामिल हुए । जमीनदार तबके के लोग उसमें शामिल होने लोगे । पैसा और हथियार जमा होने लगा । और फिर एमसीसी के नरसंहार के बाद रणवीर सेना की ओर से नरसंहार होने लगा । </div>
<div style="text-align: justify;">
जिस तरह से ब्रह्मेश्वर मुखिया की अगुवाई वाली रणवीर सेना कत्लेआम मचाती थी । महिलाओं और बच्चों को भी नहीं छोड़ती थी । एक-एक नरसंहारों को अंजाम दिया । उससे इतिहास में ब्रह्मेश्वर मुखिया का नाम एक कातिल के रूप में दर्ज होगा, लेकिन जातिगत समीकरण में उलझे बिहार का एक बड़ा तबका ऐसा है, जो उन्हें 'वीर ब्रह्मेश्वर' के नाम से याद रखेगा । </div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-48266808119826201502012-05-01T21:52:00.001-07:002012-05-01T21:52:12.052-07:00बहन की व्यथा<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span><o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>नमस्कार<o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>मैं उत्तर प्रदेश की एक बेटी हूं....आप मुझे
किसी भी नाम से जान सकते हैं...मुन्नी</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">, <span lang="HI">मीना</span>,
<span lang="HI">रजिया या कुछ और.. आज मैं व्यथा सुनाऊंगी इंसानियत की</span>,,,<span lang="HI">मासूमियत की...कलेजा थाम के सुनियेगा...क्योंकि इसमें किसी का दर्द छुपा
है...किसी की ज़ार जार रोती ज़िंदगी तो किसी की मौत की दास्तां है ये....ये व्यथा
है मेरी उन बहनों की जिसे दरिंदों ने बलात्कार के बाद जलाकर मारने की कोशिश
की...या फिर मार ही डाला...मेरी उन बहनों की जिसकी हंसती खेलती ज़िंदगी पल भर में
नर्क बन गई...जिसका सपना देखते ही देखते चकनाचूर हो गया...जो या तो दुनिया छोड़ गई
या फिर जिंदा लाश बनकर रह गई...ये मेरी उन बहनों की व्यथा है जिसे इंसान के शक्ल
में भेड़ियों ने नोचा है...जिसके बेजान जिस्म के साथ हैवानों ने खेला है...आज मैं
बताऊंगी अपनी बहनों की ऐसी सच्चाई जो उसे शूल की तरह चूभो रही है...जिसका दर्द उसे
ताउम्र सालता रहेगा...मेरी इन बहनों की तदाद कोई एक</span>, <span lang="HI">दो या
तीन नहीं है...कई हैं...जो हर गली मुहल्ले में वहशी दरींदों के शिकार हुई हैं...आज
मैं उन तमाम ज़ख्मों को कुदेरूंगी</span>,<span style="mso-spacerun: yes;">
</span><span lang="HI">जिसे अपना बनकर गैरों ने मुझे दिया है...मैं वो घाव दिखाऊंगी
जिसका दर्द सिसकियां बनकर मेरी बहनों की होठों से पल पल निकलती है...<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>बेरहमी और बेदर्दी के फेहरिस्त काफी लंबी
है...सबसे पहले बरेली की उस बहन की व्यथा...जिसके साथ तीन दरिंदों ने हैवानियत का
खेल खेला</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,,,<span lang="HI">18 साल की मेरी वो बहन घर
में अकेली थी...अपने सपनों की दुनिया<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>में
खोई हुई थी</span>,,,<span lang="HI">तभी तीन लड़कों ने घर में दस्तक दी...तीनों ने
मिलकर उसके साथ बलात्कार किया...बेरहमी की<span style="mso-spacerun: yes;">
</span>हद देखिए कि बलात्कार के बाद<span style="mso-spacerun: yes;">
</span>हैवानों ने किरोसीन तेल छिड़ककर उसे आग के हवाले कर दिया...वो चिखती
रही...चिल्लाती रही...लेकिन किसी ने उसे बचाना मुनासिब नहीं समझा...जब तक उसके
घरवाले घर पहुंचते तब तक सबकुछ खत्म हो चुका था....मेरी बहन 80 फीसदी तक जल चुकी
थी...अस्पताल पहुंचते पहुंचते उसने दम तोड़ दिया....ये तो एक तरह से ठीक ही हुआ
क्योंकि मेरी उस बहन के लिए ये जिंदगी अब अभिषाप ही बन जाती......<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>बाराबांकी में तो एक रिश्तेदार ने रिश्ते
को आग के हवाले कर दिया...जिसपर मेरी बहन आंख मूंदकर भरोसा करती थी</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,,,<span lang="HI">जिसके बारे में वो गलत सोच भी नहीं सकती थी...उसी ने उसके साथ घिनौनी हरकत
की...पहले घर बंदकर बलात्कार किया...और फिर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी...इतना
ही नहीं आग लगाकर वो घर को बंद कर फरार हो गया..लेकिन मेरी उस बहन ने हिम्मत नहीं
हारी....आग बुझाया और फिर शोर मचाया...शोर सुनकर आसपास के लोग मौके पर पहुंचे...और
फिर उसे अस्तपाल में भर्ती कराया गया.....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>देवरिया में ही रिश्ता तार तार
हुआ...मेरी एक बहन के साथ एक सिरफिरे ने पहले<span style="mso-spacerun: yes;">
</span>दुष्कर्म करने की कोशिश की...मेरी जाबांज बहन ने जब उसका विरोध किया तो वो
दरिंदा आगबबूला हो गया....लड़के ने पेट्रोल छिड़कर आग लागा दी...ये घटना शाम
के<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>वक्त हुई जब घर के सब लोग छत पर सो रहे
थे</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,,,<span lang="HI">लड़की घऱ में अकेली थी..तभी पड़ोस का
वो लड़का</span>,,,<span lang="HI">जिसे वो भाई कहकर पुकारती थी..वो चुपके से घर में
घुसा और जबर्दस्ती करने लगा.....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>गाजीपुर में मेरी बहन को उन
लोगों ने आग का गोला ही बना डाला.....महज सोलह साल की थी मेरी वो बहन..रात के वक्त
शौच करने के लिए घर से निकली थी...कुछ ही दूर गई थी कि अंधेरों का फयादा उठकार कुछ
लड़कों ने उसे अपना शिकार बना लिया...पहले उसके साथ बलात्कार किया....और फिर पोल
खुल जाने के डर से उसे जला दिया...आग की लपटों से घिरी लड़की जोर जोर से चीखने
लगी...बच्ची की दर्दनाक आवाज सुनकर गांव के लोग जब तक उसके पास पहुंचते</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">तब तक दरिंदे फरार हो चुके थे...लोगों ने आग बुझाई और फिर लड़की को
अस्पताल ले गये...लेकिन वो मौत से ज्यादा देर तक नहीं लड़ पाई....ज़िंदगी से हार
गई.....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>अब सुनाती हूं फतेहपुर की उस बहन की
व्यथा....जिसे अपनी हिम्मत की कीमत चुकानी पड़ी....घटना शिवपुरी के एक गांव की
है....जहां बीस बरस की मेरी बहन के साथ कुछ दरींदों ने मिलकर बलात्कार किया...ये
बात उन्होंने अपने घरवालों से बताई....उन्होंने हिम्मत दिखाई...चुप रहना ठीक नहीं
समझा</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,,,<span lang="HI">घरवालों को साथ लेकर सामूहिक बलात्कार
का केस दर्ज कराने पुलिस के पास पहुंची</span>,,,<span lang="HI">पुलिसवालों ने उसे
इंसाफ का भरोसा दिलाया....आंखों में न्याय की आस लिए वो घर लौट रही थी...तभी
हैवानों ने उसे घेरकर पहले पिटाई की...और फिर मिट्टी तेल डालकर आग लगा दी....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>महोबा के भरवारा गांव में बेखौफ
हैवानों ने घर में घुसकर मेरी एक बहन के साथ बलात्कार किया....मेरी वो बहन<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>घर में अकेली थी....अपने घर का काम कर रही
थी....तभी एक लड़का घर में घुसा....घर को बंद कर दिया और फिर खेला हैवानियत का वो
खेल...जिसने उसकी ज़िंदगी बर्रबाद कर दी....महिला के चीखने की आवाज सुनकर आस पड़ोस
के लोग दौड़ पड़े....जब तक वो हैवान वहां से भागता तब तक लोगों ने उसे पकड़
लिया...<o:p></o:p></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>लखीमपुर खीरी के भीड़ा क्षेत्र
में भी मेरी बहनें सुरक्षित नहीं है...उसकी इज्जत और आबरू से खेलने का दौर बदस्तूर
जारी है</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,,,<span lang="HI">ये घटना अंबारा गांव की है....कुछ ही
दिन बाद उस लड़की की शादी होने वाली थी....वो दुल्हान बनने वाली थी....डोली पर
चढ़कर अपने साजन के घर जानेवाली थी...लेकिन पड़ोसी ने ही उसका सत्यानाश कर
दिया...उस दिन मेरी वो बहन घर में अकेली थी....तभी पड़ोस का एक लड़का घर में घुसा
और उसकी आबरू लूट ली...जब लड़की ने इसका विरोध किया उसने धारदार हथियार से हमला कर
दिया...वो गंभीर रूप से घायल हो गई....खुशी के ख्वाबों का पंख लगाकर उड़ने वाली
मेरी बहन ग़मों के समंदर में डूब गई.....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>इलाहाबाद में तो<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>दरींदों ने हैवानियत की सारी हदें लांघ
दी...हैवानों ने मेरी उन मासूम बहनों को शिकार बनाया गया....जिसे बलात्कार का मतलब
भी न पता था....जो इसका विरोध करना भी नहीं जानती थी...जिसे ये भी नहीं पता था कि
इस गंदे खेल की शिकायत करनी होती है...उसकी उम्र तो गुड्डे गुड़ियों से खेलने की
थी....लेकिन हवस के अंधे बेरहमों ने उसे भी नहीं बख्शा....इसका खुलासा तब हुआ</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">,
<span lang="HI">जब गोद ली जा चुकी एक लड़की ने अपने घरवालों से बालगृह की कहानी
सुनाई....सच्चाई जब सामने आई तो सब के सब हैरान रह गये....जिसे बच्चियां अंकल कहा
करती थी....जो<span style="mso-spacerun: yes;"> </span>उसका देखभाल करता था.....वो
चपरासी ही बलात्कारी निकला...बच्चियों से बलात्कार की इस घटना के बाद प्रशासन
महकमा हिल गया....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>ये तो कुछ<span style="mso-spacerun: yes;">
</span>की कथा है....और भी कई बहनें हैं जो इस बदमानी की बेइंतहा दर्द लेकर कहीं
गुमनाम ज़िंदगी जी रही है या फिर दुनिया छोड़ गई.... मेरी इस व्यथा पर गौर जरूर
कीजिएगा...एक बार जरूर सोचिएगा...मेरी तरह वो आपकी भी बहने हैं...खासकर अखिलेश
भैया आप जरूर ध्यान दीजिएगा...क्योंकि आपसे काफी उम्मीदें हैं....अगर समय रहते इन
दरीदों के जिंदगी में बेरियां नहीं पहनाई गई</span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;">, <span lang="HI">तो
आपके राज में मां</span>, <span lang="HI">बेटियां पैदा करना छोड़ देंगी.....<o:p></o:p></span></span></b></div>
<div class="MsoNormal" style="mso-layout-grid-align: none; mso-pagination: none; text-align: justify; text-autospace: none; text-justify: inter-ideograph;">
<b><span lang="HI" style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><span style="mso-spacerun: yes;"> </span>नमस्कार<span style="mso-spacerun: yes;"> </span></span></b><b><span style="font-family: "Aparajita","sans-serif"; font-size: 14.0pt; line-height: 115%;"><o:p></o:p></span></b></div>
</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-75449713705985972962012-04-30T22:56:00.002-07:002015-01-23T11:36:03.290-08:00वो...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<span style="text-align: justify;">दुआ में, आरजू में </span><br />
<div style="text-align: justify;">
हवा में , खुशबू में</div>
<div style="text-align: justify;">
लफ्जों में, अरजों में</div>
<div style="text-align: justify;">
सर्द में, बरसात में</div>
<div style="text-align: justify;">
धूप में, छांव में</div>
<div style="text-align: justify;">
प्यार के हर मौसम में</div>
<div style="text-align: justify;">
हसीन ख्वाबों में</div>
<div style="text-align: justify;">
सांसों में, अहसासों में</div>
<div style="text-align: justify;">
दिल में, धड़कन में</div>
<div style="text-align: justify;">
रगो में दौड़ते </div>
<div style="text-align: justify;">
लहु के कण कण में </div>
<div style="text-align: justify;">
घाव में, जख्म में </div>
<div style="text-align: justify;">
दर्द में, मरहम में</div>
<div style="text-align: justify;">
खुशी में, गम में</div>
<div style="text-align: justify;">
फुर्सत के क्षण में </div>
<div style="text-align: justify;">
सिर्फ उनकी याद आती है....</div>
<div style="text-align: justify;">
<br /></div>
</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-3791832612741757192012-04-23T23:27:00.002-07:002015-01-12T23:25:20.246-08:00सीडी ने सिंघवी को निकम्मा कर दिया...<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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सीडी । बड़ी बकवास चीज है । इसका अविष्कार जिसने किया । बहुत बुरा किया । ऊपर से सोशल नेटवर्किंग साइट । इसने तो और भी सत्यानाश कर दिया । कल तक नेताजी बड़े काम के थे । आज निकम्मा हो गये हैं । कोई काम नहीं बचा । न पार्टी के प्रवक्ता पद बचा । न ही ड्राफ्टिंग कमेटी का अध्यक्ष पद । कौन नहीं करता है ये सब काम । ज्यादातर नेता करते हैं । उन्होंने कर लिया तो क्या बुरा किया । इतने बड़े वकील हैं । वकालत करते- करते नेता बने । इतना बड़ा पद । रूतबा । पैसा । पावर । आखिर किस काम के । इतना भी नहीं कर सकते । </div>
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सबसे बुरा किया ड्राइवर ने । उसने क्यों किया स्टिंग ऑपरेशन । किया तो किया, उसे नेट पर क्यों डाला । कितना विश्वास था उसके ऊपर । पता नहीं कौन सी दुश्मनी निकाल ली । एक बार भी नहीं सोचा । बोलता तो उसके लिए भी कुछ कर देते । लेकिन । सब खत्म कर दिया । कहीं का नहीं छोड़ा । किस- किस को विश्वास दिलाएंगे नेता जी कि सीडी नकली है । सीडी के साथ छेड़छाड़ की गई है । जिधर जाते हैं सब वही पूछता है । नजर टेढ़ी कर देखता है । और फिर हंस देता है । </div>
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बेचारे । प्रेस कांफ्रेंस करने आते थे तो कितना स्मार्ट लगते थे । व्हाइट कुर्ता । चेहरे पर मुस्कान । चश्मा के नीचे से झांकती हुई आंखें । हंसते हुए जवाब देते थे । अब मीडिया से तौबा कर लिया है । नहीं आएंगे मीडिया के सामने । सही किया नेता जी ने । क्यों आएंगे । चैनल वाला सब कुदेर कुदेर कर पूछेगा । क्या-क्या किया । कैसे किया । कैसा महसूस किया । अब आप क्या कहेंगे । वगैरह । वगैरह । सब से तौबा कर लिया । </div>
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Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-84405857360532855492012-04-22T02:43:00.001-07:002012-04-22T02:43:48.641-07:00दीदी राज में रहना है तो.....<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
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आप अपने मन पसंद न्यूज़ चैनल नहीं देख सकते । आप सरकारी नेताओं के खिलाफ नहीं बोल सकते । इन सब के लिए आप को सरकार का रूल रेग्यूलेशन फॉलो करना होगा । आपको सरकार के हिसाब से चलना होगा । नहीं तो पुलिस पकड़ कर ले जाएगी । आपके ऊपर मुकदमा भी हो सकता है । आप जेल भी जा सकते हैं । सो, संभल जाइये । कोई प्राइवेट न्यूज़ चैनल देखने से पहले अपने घर के चारों तरफ ताक झांक कर लीजिए । कहीं कोई सरकार का भेदिया देख तो नहीं रहा । नहीं तो मुश्किलें बढ़ जाएंगी । ऐसा नहीं है कि यहां प्रेस पर सेंसरशीप लगा है । दरअसल यहां दीदी का राज है । यहां वही होगा, जो दीदी चाहती हैं । या फिर दीदी को चाहनेवाले चाहते हैं । हालांकि आपके लिए दीदी अपना चैनल खोलने वाली हैं । जिस पर दीदी दाहाड़ मारेंगी । सरकार का बखान होगा । अखबार भी निकेलगा । सुबह- सुबह हत्या, बलात्कार, लूट जैसी घटनाएं देखने या पढ़ने को नहीं मिलेंगी । दिनभर में कभी नहीं । रात में भी नहीं । जिस घोटाले या भ्रष्टाचार को लेकर आप दिन रात माथा पच्ची करते हैं, वैसा कुछ देखने सुनने को नहीं मिलेगा । बस सरकार के वादों को दोहराया जाएगा । दावों को डंके की चोट पर ठोका जाएगा । </div>
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कार्टून बनाने वाले या उसे पसंद करने वाले आप सबसे पहले सावधान हो जाइये । आपको तो बचाने के लिए भी कोई नहीं आयेगा । </div>
<div style="text-align: justify;">
आप अपनी बेटी या बेटे की शादी वहां नहीं कर सकते, जाहां आप चाहते हैं । वहां करिये, जहां सरकार चहाती है । हां, एक शर्त पर हो शादी हो सकती है । कि लड़का या ल़ड़की सत्ता पार्टी की सदस्याता ग्रहण कर लें । नहीं तो मंडप से दुल्हे को लौटना पड़ सकता है । अविवाहित लड़के-लड़कियां पहले संभल जाएं । प्यार इश्क करने से पहले एक-दूसरे से पूछ लें कि वो किस पार्टी से ताल्लुक रखता है । नहीं तो शादी से पहले तलाक हो जाएगा । </div>
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दीदी राज में रहना है तो इन बातों को ध्यान में रखना होगा । हां गलती से लोकतंत्र और राजतंत्र के सिद्धांत में मत उलझिएगा । वरना फालतू में ब्लड प्रेशर बढ़ जाएगा । बीमार पड़ जाएंगे । डॉक्टर और दवाइ का खर्चा अलग से । सो सावधान रहें । सुरक्षित रहें । अपना ख्याल रखें । दीदी के फरमानों को नज़र अंदाज़ करने की ग़लती कतई ना करें । आपकी ज़िंदगी का सवाल है । </div>
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</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-36182707072978637162012-03-23T13:15:00.001-07:002012-03-23T13:15:21.881-07:00सचिन...सचिन और सचिनसचिन का सौ शतक । इंतजार पूरा हुआ । सचिन का । सचिन के फैंस का । हर पारी में 90 पार पहुंचते ही दिल की धड़कन तेज़ हो जाती थी । आखिरकार वो क्षण भी आ गया । जब सचिन के चेहरे पर संतोष का भाव था । दबाव से उबरा सचिना का जलवा अगले मैच में देखने को मिला । बंगलादेश के खिलाफ मैच देखते-देखते एक बारगी मन में एहसास हुआ कि सचिन थक चुके हैं । लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ मैच में ग़लतफहमी दूर हो गई । मिड ऑन पर चौका । प्वाइंट पर चौका । विकेट के पीछे सिक्सर । बाइस गज पर दौड़ते वक्त कोहली को चुनौती देते सचिन । सचिन ऐसा नाम है, जो कभी थकता नहीं । हार नहीं मानता । सचिन सिर्फ क्रिकेटर नहीं रहे । वो आदर्श हैं । मार्गदर्शक हैं । प्रेरक हैं । हम सबके लिए । किस तरह चौतरफा दबाव से उबरा जाता है । किस तरह मौन रहकर भी आलोचकों को जवाब दिया जा सकता है ।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-69499727525945458242012-03-23T12:43:00.003-07:002012-10-31T01:24:55.494-07:00<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
वो अल्हड़ सी <br />
मदमस्त नयनों वाली <br />
न मेरी दोस्त है <br />
न मेरी दुश्मन<br />
पर उसके बिना <br />
महसूस होता है<br />
एक अजीब सा अधूरापन <br />
उसकी छोटी सी आहट पर <br />
सिहर उठता है तन-मन<br />
रूक जाती हैं सांसें<br />
बढ़ जाती है धड़कन <br />
आखिर ये कौन सा रिश्ता है<br />
ये कैसा है अपनापन</div>
Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-60245867963518980002012-02-20T19:02:00.001-08:002012-02-20T19:03:32.570-08:00गुड बाय पंटर....<a onblur="try {parent.deselectBloggerImageGracefully();} catch(e) {}" href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoyL_H7QE4ROuZYHVDuiekDcH8VnlC_FE-cHD_ljkOLQBxKxOwpaQFgnS8OX4qrT_eCqGWZRu-m86qpE9y8bZCh_JGrI3BpJYbZMgasRZHVj7de1InpLEnQM4Qc6W07-scbtLuy-ailrg/s1600/ponting.jpg"><img style="float:left; margin:0 10px 10px 0;cursor:pointer; cursor:hand;width: 240px; height: 320px;" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjoyL_H7QE4ROuZYHVDuiekDcH8VnlC_FE-cHD_ljkOLQBxKxOwpaQFgnS8OX4qrT_eCqGWZRu-m86qpE9y8bZCh_JGrI3BpJYbZMgasRZHVj7de1InpLEnQM4Qc6W07-scbtLuy-ailrg/s320/ponting.jpg" border="0" alt=""id="BLOGGER_PHOTO_ID_5711419176452956930" /></a><br />जीवट क्रिकेटर । बेहतरीन बल्लेबाज । सफल दिग्दर्शक । और अक्खर कप्तान । पंटर यानी रिकी पॉटिंग । रंगीन जर्सी में अब नहीं दिखेंगे । छोड़ दिया वनडे क्रिकेट । बतौर खिलाड़ी विरोधियों पर भारी पड़ते रहे । 2003 के वर्ल्ड कप का फाइनल । कोई भारतीय नहीं भूल सकता । ऑस्ट्रेलिया नहीं भूल सकता । टीम को समेटकर चलने वाला सेनापति । जिस टीम को जब चाहा रौंद दिया । खुद भी लड़ते रहे । साथियों को लड़ाई सिखाते रहे । लगातार दो बार वर्ल्ड चैंपियन कप्तान । जिसे किसी ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने हासिल नहीं किया, उसे पंटर ने कर दिखाया । चैंपियंस ट्रॉफी । भारत में आकर जीत ले गया । जब अक्खर कप्तान ने जोश में होश गवां दिया था । शरद पवार का अपमान । बाद में माफी मांग ली । फिर मेलबर्न में अंगुली दिखाना । बहुत बुरा लगा था हमें । हालांकि इस सब से ज्यादा जलन । पंटर की बेहतरीन खेल और कप्तानी से । अक्सर उसकी रणनीति और खेल से हारने का रोष । सिर्फ भारतीय ही नहीं । हर विरोधी टीम । पंटर के हार से खुश होते थे । टेस्ट में कभी तेंदुलकर का चैलेंज करवाला खिलाड़ी । किसी का भी हर दिन एक जैसा नहीं होता । पंटर भी अछूता नहीं रहा । बुरे दिन देखे । भारत, इंग्लैंड, न्यूजिलैंड, हर टीम से हार । कप्तानी गई । फिर खेल पर बन आया । टीम से अंदर-बाहर । और फिर संन्यास की घोषणा । किसी दूसरे क्रिकेटर से तुलना नहीं कर सकता । क्योंकि रिकी पोंटिंग एक है । एक ही रहेगा । सबसे अलग । सबसे जुदा । नई पौध के मार्गदर्शक । हर मैच में याद आएंगे पंटर । भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हर मैच में याद आएंगे रिकी पोंटिंग ।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-78590214909945989472012-02-12T16:39:00.000-08:002012-02-14T10:27:17.637-08:00उसकी हिम्मत को देख रहा हूं....वो धीर से वीर की तरह लड़ती रही<br />वो हज़ार ज़ख्म सहकर भी मुस्कुराती रही<br />हर शिकवे को भूलकर बढ़ती रही<br />न राह को पता था न राहगीर को <br />जहां पर रूकी मंजिल रूठती रही.... <br /> <br />कीस्मत उससे हर पल परीक्षा लेती रही<br />वो हारकर भी बाजी जीतती रही<br />ना उसे अहसास था, ना किसी और को <br />वो हर क्षण कहानी बनती रही....<br /><br />मैंने उसे हिम्मत से लड़ते हुए देखा<br />उसे हर परिस्थिति से जूझते हुए देखा<br />नाम से पहचान तक बदलते देखा <br />और आज मैंने उसे,<br />बुलंदियों की ऊंचाई पर चमकते हुए देखा ।।<br /> <br /> किसी को देखकर लिखा.....नाम नहीं लिख सकता....मजबूरी है...Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-29586251192782399152012-01-13T20:47:00.000-08:002012-01-13T20:48:09.738-08:00सेना-सरकार आमने-सामनेसत्ता। सरकार। सेना। सियासत। सुप्रीम कोर्ट का शह। सेना और आईएसआई का गठजोड़। शह और मात का खेल। कुर्सी के लिए खिंचतान। राजनीतिक अस्थिरता। एकबार फिर तख्तापलट की आशंका। सैनिक शासन का डर। 64 साल का पाकिस्तान। 32 साल सेना का शासन। लोकशाही या सेनाशाही। संविधान पर सवाल। तीन बार तख्ता पलट। 6 जनरल का शासन। आर्मी की मनमानी। बेबस जनता। लाचार। विकल्पहीन। सबकुछ देख रही। सह रही है। राजनीतिक पार्टियां एक-दूसरे का पैर खिंच रही है। पावर पॉलिटिक्स में फंसा पाकिस्तान। भारत के लिए खतरे की घंटी। अयूब ख़ान- 1665 में पहला युद्धा। याहिया ख़ान- 1971 में दूसरा युद्ध। जिया-उल-हक़- भारत में आंतकी घुसपैठ की शुरुआत। परवेज मशर्रफ़- 1999 में कारगिल युद्ध। एकबार फिर बिखरता पड़ोसी। हो जाओ सचेत।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-39808169079145057712011-12-19T20:22:00.001-08:002011-12-19T20:22:48.791-08:00तुम...तुम्हारे साथ रहता हूं<br />तो जीता हूं मैं जी भरकर <br />मैं तुमसे दूर होता हूं <br />तो याद आती है रह रहकर <br />इसे चाहत कहो <br />या तुम इसे कह लो पागलपन <br />हक़ीक़त ये है कि <br />तुम बिन कहीं लगता नहीं है मन ।।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-40170177475381764682011-12-10T18:51:00.000-08:002011-12-10T18:53:37.683-08:00क्रिकेट के ज़रिए नई उम्मीदइंदौर में जब इतिहास बन रहा था, होलकर स्टेडियम में 22 गज के पिच पर 38 इंच का बल्ला लेकर जब वीरेन्द्र सहवाग गेंद को बॉड्री से बाहर पहुंचा रहे थे, उस वक्त क्रिकेट का रोमांच चरम पर था। भाषावाद, क्षेत्रवाद, देशवाद की तमाम सीमाएं टूट रही थी। महाराष्ट्र से लेकर बिहार तक और दिल्ली से लेकर तमिलनाडु तक हर कोई सहवाग की कारिस्तानी को जेहन में कैद कर रहा था। दुनियाभर के क्रिकेटप्रेमी टेलीविजन से चिपक गये थे। इंग्लैंड से केविन पिटरसन और ऑस्ट्रेलिया में बैठकर न्यूजीलैंड के खिलाड़ी डेनियल विटोरी मैच का लुत्फ उठा रहे थे। ट्विटर पर शुभकामना दे रहे थे। क्रिकेट प्रेमियों को ये क्षण ना चूकने के लिए कह रहे थे। सहवाग का सबसे तेज़ दोहरा शतक लगते ही दुनियाभर से शुभकामनाएं आने लगी। पाकिस्तान से लेकर ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में भी सहवाग की चर्चा होने लगी। पाकिस्तान के क्रिकेटरों को सहवाग पर ही भरोसा था। यानी एक वक़्त ऐसा लगा मानो दुनिया एक हो गई हो। हर कोई भारतीय क्रिकेट के कायल हो गये थे। सहवाग को शाबासी दे रहे थे। तो इस सब के बीच जेहन में एक सवाल उठने लगा कि क्या अब क्रिकेट के आसरे दुनिया में शांति और सदभाव का भविष्य देखा जा सकता है। क्या क्रिकेट, दुनिया को उस रास्ते पर ले जा सकता है, जहां परमाणु हमले की धमकी की बजाय दूसरे देशों के लोगों को शाबासी और पीठ थपथपाते नज़र आये। ये बात तब और मज़बूती के साथ उभरती है, जब मुम्बई हमले के बाद पहली बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भारत पहुंचते हैं, और फिर मनमोहन सिंह के साथ बैठकर पूरा मैच देखते हैं। <br /> अगर आप इन बातों से इत्तफाक नहीं रखते तो याद कीजिए कोई मसला, वो कोई मुद्दा, वो कोई बात या वो दिन जब पूरी दुनिया एक साथ जश्न मना रही हो। दिल खोलकर दूसरे देश के लोगों को शाबासी दे रहा हो। वो भी उस वक्त जब सबकुछ प्रतियोगिता के बीच आंका जाता है। जब आगे-पीछे, जीत-हार के नज़रिये से सबकुछ देखा जा रहा हो। पाकिस्तान के राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी धोनी की तारीफ की थी, जिसे भारत के लिए नकारात्मक सोच रखनेवालों की श्रेणी में रखा जाता है। किसी वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि टीम इंडिया की हार पर दाऊद इब्राहिम भी रोता है। यानी क्रिकेट में कुछ तो है, जो बाकी किसी और में नहीं। <br /> आईपीएल के ज़रिए क्रिकेट का भूमंडलीयकरण हुआ। धोनी चेन्नई के कप्तान बन गये। गौतम गंभीर दिल्ली के और शेन वार्न राजस्थान के। तमाम घेराबंदी को तोड़ते हुए ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी राजस्थान के हो गये। इंग्लैंड के खिलाड़ी पंजाब के और वेस्टइंडीज के खिलाड़ी बेंगलुरू की ओर से खेलने लगे। क्रिकेट खेलते खेलते ऑस्ट्रेलिया के एडम गिलक्रिस्ट ने भारतीय बाजार में माल बेचने लगे पता नहीं चला। विज्ञापन के लिए ही सही हिन्दी बोलने लगे। ब्रेट ली ने तो बकायदा गाना तक रिकॉर्ड करवाया। घर बेचने लगे। साइमंड्स दोस्ती की नई परिभाषा गढ़ने आईपीएल के रास्ते बिग बॉस के घर तक पहुंच चुके हैं।<br /> क्रिकेट पहले अंग्रेजों और कंगारुओं की बपौती हुआ करता था। ये उस अंग्रेजों का खेल था, जिसे भारतीय फूटी आंख देखना नहीं चाहते थे। लेकिन समय बदला तो भारत में क्रिकेट धर्म बनता गया। सचिन तेंदुलकर के रूप में क्रिकेट प्रेमियों को नया भगवान मिल गया। अंग्रेज भारतीयों के मुरीद बन गये। क्रिकेट के ज़रिए बंग्लादेश और किनिया जैसे मुल्क विश्व के मानचित्र पर पहचान बनाते हैं। चीन भी क्रिकेट टीम तैयार कर रहा है। हो सकता है कि बाज़ार को भांपते हुए अमेरिका भी जल्द ही अपनी टीम बना ले। यानी क्रिकेट के ज़रिए उम्मीद की नई किरण दिख रही है। जिसे समझने की और परखने की ज़रूरत है।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-52983329192274392102011-12-01T23:16:00.000-08:002011-12-01T23:18:40.068-08:00टेंशन लेने का नहीं...देने कासंसद का शीतकालीन सत्र फिर संकट से जूझ रहा है। पहला हफ्ता महंगाई और कालाधन के नाम। दूसरा हफ्ता प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के नाम। विपक्षी नेता हंगामा कर घर चले जाते। सरकार के मंत्री बैठक में चाय-पानी करते हैं। नतीजा कुछ नहीं निकल रहा। ऐसा कोई पहलीबार नहीं हो रहा। हर सत्र में कमोबेश ऐसी ही स्थिति होती है। सांसद महोदय हंगामा करके घर में सोते हैं। और हम आप माथापच्ची करते रहते। 2010 में 23 दिनों का शीतकालीन सत्र था। महज सात घंटे चल सका। पिछली बार जेपीएससी को लेकर झगड़ा हो रहा था। इस बार एफडीआई पर रगड़ा है। हालांकि झगड़ा और रगड़ा से ज्यादा इसे अगर फ्रेंडली फाइट कहें तो बेहतर होगा। <br /> आंकड़े बताते हैं कि संसद की एक मिनट की कार्यवाही पर 40,000 रुपये से भी ज्या।दा खर्च होता है। यानी एक घंटे में 24 लाख रुपये। और एक दिन में 1.9 करोड़ रुपये खर्च होते हैं। आप इन आंकड़ों पर मत जाइए। पढ़कर भूल जाइए। नहीं तो शॉक लगेगा। टेंशन होगा। ब्लड प्रेशर बढ़ेगा। पछतावा। और फिर मुंह से निकलेगा- छोड़ो यार। सो पहले ही छोड़ दीजिए। हमारे देश के नेताजी टेंशन लेते नहीं देते हैं। खुद सुबह सदन स्थगित कर घर में मस्ती करते हैं। अखबार वाले लेख छापते रहें। टीवी चैनलवाले बहस करते रहें। आप टीवी चैनल देखकर माथा पच्ची करते रहो। यही वे लोग चाहते हैं। <br /> सरकार के लोग बड़ा चालाक है। कालाधन पर आडवाणी जी चिल्ला रहे थे। महंगाई पर वाम दल बमक रहा था। भ्रष्टाचार को लेकर मीडिया रोज रोज आंकड़े पेश कर रही थी। सबको एक ही बार में एफडीआई का बम फोड़कर तिलमिला दिया। सब एफडीआई-एफडीआई भौंकते रहे। विश्लेषण करते रहे। इस बीच देश के विकास दर कम होने का आंकड़ा आया। सरकार से इसके बारे में पूछने की फुर्सत किसी को नहीं। करूणानिधि ने एफडीआई के मुद्दे पर सरकार के पक्ष में वोट करने का आश्वासन दिया। चुपचाप कनिमोझी को बेल मिल गया। ना तो मीडिया में इस पर विश्लेषण हुआ। और ना ही इस बार विपक्ष ने सबीआई पर सवाल उठाए।<br /> सो, आप भी सिनेमा हॉल जाकर 'द डर्टी पिक्चर' फिल्म देखिए। या फिर कोलावेरी..कोलावेरी सुनिए। नहीं अगर, आपके भीतर देशभक्ति अकुला रही है। तो संसद के बारे में सोचने की बजाए भारत और वेस्टइंडीज के बीच मैच देखिए। भारत की जीत ताली बजाइए। भारतीय होने पर गर्व करिए। हार जाए तो कोई बात नहीं। क्रिकेट में जीत हार होता रहता है- ये सोचकर सो जाइए। और फिर भी अगर संसद और सांसद के बारे में आपके मन में कुछ कुछ होता है तो 2014 का इंतज़ार कीजिए। कुछ बेहतर करिए...सिर्फ एक बार...और जो नेता आपको पांच सालसे टेंशन दे रहे हैं....उन्हें आप टेंशन दे दीजिए ।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-85001158856712864862011-11-30T21:28:00.000-08:002011-11-30T21:46:02.840-08:00कमाल का कोलावेरीकोलावेरी...कोलावेरी। हर किसी की जुबां पर है। हर किसी के मोबाइल पर। कम्प्यूटर के हर सिस्टम पर। म्यूजिक की दुकानों में। कोलावेरी, कोलावेरी हो रहा है। कोलावेरी के सामने ऊ ला ला से लेकर देसी ब्वॉयज तक फेल है। युवाओं का एक बड़ा हिस्सा आजकल कोलावेरिया गया है। इस गाने को लेकर युवाओं में एक अजीब तरह की दीवानगी है। पागलपन है। शहर से होते हुए ये गांव के खेत तक पहुंच चुका है। ये अलग बात है कि गांव के गणेशिया इसे केलावारी...केलावारी गाता है। तो धनबाद के कन्हैया इसे कोलियरी...कोलियरी गाता है....लेकिन, कोलावेरिया वे दोनों भी गया है।<br /> <br /> इस गाने में तमिल और इंग्लिश के शब्द हैं। हिंदी इलाके के ज़्यादातर लोग इस गाने को समझते नहीं हैं। लेकिन सुनते हैं। सुनकर थिरकते हैं। वो भी इतने मस्त होकर कि ना जाननेवाला शरमा जाए। दूसरों को सुनने के लिए कहते हैं। एक ने कहा अच्छा है। दूसरे ने उसको फॉलो किया। गाना फेमस हुआ। गानेवाला फेमस हो गया। जिस जिसको पता नहीं था, वे सब जान गये कि तमिल एक्टर धनुष गाते भी हैं। अब तक तो फिल्मों में ही डायरेक्टर के इशारे पर धनुष को तीर छोड़ते हुए देखा था। लेकिन गाना गाकर तो धनुष ने ऐसा तीर छोड़ा कि एक ही दिन में 90 लाख लोग घायल हो गये। <br /> <br /> कोलावेरी की इतनी बड़ी सफलता न्यूज़ चैनलों के लिए शोध का विषय बन चुका है। कुछ चैनल इस शब्द का मतलब समझा रहा है। कुछ इस पर विशेष कार्यक्रम बना रहा है। शब्द की उत्पत्ति से लेकर सफलता तक की कहानी। आधे घंटे में। रिमोट अपने हाथ में रखे रहिए। जिन्हें गीत और गाने से मतलब नहीं। वे भी समाचार चैनलों को देख देखकर कोलावेरी...कोलावेरी कर रहे हैं। एक अद्भुद रिश्ता बन गया है कोलावेरी के साथ। रात में सपनों मे भी मुंह से कोलावेरी ही निकलता है। अगर आप भी कोलावेरी..कोलावेरी करते हैं तो ठीक है। वरना सीख लीजिए। नहीं तो आगे चलकर मुश्किलें हो सकती है। क्योंकि ये गाना और गाना सुननेवालों की तदाद को देखते हुए जल्द ही सदन में कुछ नेता इसे राष्ट्रीय गीत...मां देवी की स्तुति या फिर स्कूल की प्रार्थना के तौर पर लागू करने की मांग करनेवाले हैं।Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-4843116388937094328.post-53512596309397603152011-10-11T17:19:00.000-07:002011-10-11T17:20:24.832-07:00आडवाणी की अब तक की यात्रालालकृष्ण आडवाणी एक और यात्रा पर निकल चुके हैं। इसी बस पर सवार हो कर आडवाणी निकल पड़े हैं देश को जगाने। जनता के बीच स्वच्छ राजनीति और सुशान का अलख जगाने। भ्रष्टाचार और महंगाई के खिलाफ केन्द्र की यूपीए सरकार को घेरने। सियासत की छठी देशव्यापी यात्रा आडवाणी लक्जरी बस से कर रहे हैं। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस बस में वो तमाम चीजें मौज़ूद है। जो आडवाणी को देश दुनिया से रू-ब-रू करायेगा। बस में कम्प्यूटर के साथ इंटरनेट की सुविधा है। डीटीएच के साथ टेलीविजन लगा हुआ है। बस में हाइड्रोलिक सिस्टम लगा हुआ है। बस के साथ 18 गाड़ियों का काफिला रहेगा....किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए एम्बुलेंस रहेगा। 20 नवंबर तक चलने वाली यात्रा 6 चरणों में पूरी होगी। इस बस को महाराष्ट्र के पूणे में तैयार किया गया है। पूरी तरह से बातानुकुलित बस में एक छोटा सा बेडरूम, हॉल और बाथरूम है। रथ यात्रा के खांटी खिलाड़ी लालकृष्ण आडवाणी की सवारी इस बार बदल गई है। अब तक रथ के आकार की गाड़ी पर यात्रा करने वाले आडवाणी इस बार लक्जरी बस से सफर कर रहे हैं। राम का नाम लेकर 1990 आडवाणी सोमनाथ से चले थे रथ पर। इसके बाद देश की आज़ादी के पचास साल पूरे होने पर 1997 में आडवाणी ने स्वर्ण जयंती रथ यात्रा निकाली थी। 2004 में आडवाणी ने भारत उदय यात्रा निकाली। एनडीए के शासन काल में निकली इस यात्रा में इंडिया साइनिंग का नारा दिया गया। जिसे देश ने नकार दिया। 2006 में आडवाणी ने आतंकवाद को लेकर भारत सुरक्षा नाम से रथ यात्रा निकाली। 2009 में आडवाणी ने जनादेश यात्रा निकाली। लोगों ने इसे भी नकार दिया। लेकिन वक्त बदला। मुद्दा बदला और सवारी भी। अगले 40 दिनों तक 7600 किलोमीटर तक का सफर आडवाणी इसी बस से करेंगे...Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/12747653331474533429noreply@blogger.com0