सोमवार, फ़रवरी 20, 2012

गुड बाय पंटर....


जीवट क्रिकेटर । बेहतरीन बल्लेबाज । सफल दिग्दर्शक । और अक्खर कप्तान । पंटर यानी रिकी पॉटिंग । रंगीन जर्सी में अब नहीं दिखेंगे । छोड़ दिया वनडे क्रिकेट । बतौर खिलाड़ी विरोधियों पर भारी पड़ते रहे । 2003 के वर्ल्ड कप का फाइनल । कोई भारतीय नहीं भूल सकता । ऑस्ट्रेलिया नहीं भूल सकता । टीम को समेटकर चलने वाला सेनापति । जिस टीम को जब चाहा रौंद दिया । खुद भी लड़ते रहे । साथियों को लड़ाई सिखाते रहे । लगातार दो बार वर्ल्ड चैंपियन कप्तान । जिसे किसी ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने हासिल नहीं किया, उसे पंटर ने कर दिखाया । चैंपियंस ट्रॉफी । भारत में आकर जीत ले गया । जब अक्खर कप्तान ने जोश में होश गवां दिया था । शरद पवार का अपमान । बाद में माफी मांग ली । फिर मेलबर्न में अंगुली दिखाना । बहुत बुरा लगा था हमें । हालांकि इस सब से ज्यादा जलन । पंटर की बेहतरीन खेल और कप्तानी से । अक्सर उसकी रणनीति और खेल से हारने का रोष । सिर्फ भारतीय ही नहीं । हर विरोधी टीम । पंटर के हार से खुश होते थे । टेस्ट में कभी तेंदुलकर का चैलेंज करवाला खिलाड़ी । किसी का भी हर दिन एक जैसा नहीं होता । पंटर भी अछूता नहीं रहा । बुरे दिन देखे । भारत, इंग्लैंड, न्यूजिलैंड, हर टीम से हार । कप्तानी गई । फिर खेल पर बन आया । टीम से अंदर-बाहर । और फिर संन्यास की घोषणा । किसी दूसरे क्रिकेटर से तुलना नहीं कर सकता । क्योंकि रिकी पोंटिंग एक है । एक ही रहेगा । सबसे अलग । सबसे जुदा । नई पौध के मार्गदर्शक । हर मैच में याद आएंगे पंटर । भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हर मैच में याद आएंगे रिकी पोंटिंग ।

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