शुक्रवार, मार्च 23, 2012

सचिन...सचिन और सचिन

सचिन का सौ शतक । इंतजार पूरा हुआ । सचिन का । सचिन के फैंस का । हर पारी में 90 पार पहुंचते ही दिल की धड़कन तेज़ हो जाती थी । आखिरकार वो क्षण भी आ गया । जब सचिन के चेहरे पर संतोष का भाव था । दबाव से उबरा सचिना का जलवा अगले मैच में देखने को मिला । बंगलादेश के खिलाफ मैच देखते-देखते एक बारगी मन में एहसास हुआ कि सचिन थक चुके हैं । लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ मैच में ग़लतफहमी दूर हो गई । मिड ऑन पर चौका । प्वाइंट पर चौका । विकेट के पीछे सिक्सर । बाइस गज पर दौड़ते वक्त कोहली को चुनौती देते सचिन । सचिन ऐसा नाम है, जो कभी थकता नहीं । हार नहीं मानता । सचिन सिर्फ क्रिकेटर नहीं रहे । वो आदर्श हैं । मार्गदर्शक हैं । प्रेरक हैं । हम सबके लिए । किस तरह चौतरफा दबाव से उबरा जाता है । किस तरह मौन रहकर भी आलोचकों को जवाब दिया जा सकता है ।
वो अल्हड़ सी
मदमस्त नयनों वाली
न मेरी दोस्त है
न मेरी दुश्मन
पर उसके बिना
महसूस होता है
एक अजीब सा अधूरापन
उसकी छोटी सी आहट पर
सिहर उठता है तन-मन
रूक जाती हैं सांसें
बढ़ जाती है धड़कन
आखिर ये कौन सा रिश्ता है
ये कैसा है अपनापन