रविवार, दिसंबर 12, 2010

पटना पुस्तक मेला २०१०

पटना के गांधी मैदान में किताबों का महाकुंभ लगा है। जबर्दस्त भीड़ जुट रही है। तरह-तरह की किताबें बिक रही है। स्कूली किताब से लेकर साहित्य, रोमांस, इतिहास की किताबें। अगर आप रोमांटिक आदमी हैं और उम्रदराज होकर कुछ कर गुजरना चाहते हैं तो जूली-मटूक की डायरी भी मिल रही है। हां, गीता की बिक्री कम या नहीं के बराबर है। एक विदेशी हाथ में लेकर घूम घूम कर बेच रहा था। एक लेखक देश की भी चिंता है। वैसे इश्क लड़ाने वालों के लिए भी कम मनमाफित जगह नहीं है। आईलवयू करने वाले लोग भी खूब घूम रहे हैं। किताब देखने वालों से ज्यादा किताब देखने वाले को देखनेवालों की भीड़ है। पुस्तक मेला में हर तरह के प्रोडक्ट बेचे जा रहे हैं। किताबों के साथ-साथ पॉपकॉर्न भी खूब बिक रहे हैं। दिसम्बर महीने में भी कोकाकोला की बिक्री है। एक बात और ख़ास है। यहां पर 12 दिनों में पत्रकार बना दिये जाते हैं। इंजीनियरिंग, मेडिकल, और समान्य कंपिटिशन के लिए प्राइवेट इंस्टीट्यूटों के बीच जबर्दस्त कंपिटिशन है। कुछ तस्वीरों के जरिये हम आपको दिखाते हैं।










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