गुरुवार, दिसंबर 31, 2009

चल पड़ा हूं

मैं अपने भूतों पर
बिलखता नहीं
भविष्य की सोचता नहीं
वर्तमान में लड़ता हूं
संघर्ष के एक – एक क्षण को
संजोकर रखता हूं
मैं तोड़ दिये जाने से नहीं डरता
कर्मों पर विश्वास करता हूं
मैं राखों से नहीं खेलता
रोज आगों में तपता हूं
कठिर डगर चुन ली हमने
पर सहारे की अपेक्षा नहीं रखता
अपनी मंजिल को पाने के लिए
हर पल अग्नि परीक्षा देता हूं
हर मो़ड़ पर छली खड़ा है
हर कृत्य पर टेढ़ी नजर रखता है
हर डगर रोड़ा अड़काता है
ठोकर खाने से थोड़ा लड़खड़ाता हूं
पर प्रबल संकल्प के सामने
किसी का चलता नहीं
यही सोचकर एक बार फिर से
चल पड़ता हूं ।।

हैप्पी न्यू इयर

नववर्ष
आपका अभिनन्दन
पुलकित मन
हर्षित नयन
हाथ जोड़ अर्पित सुमन
नव कामना
नव प्रेरणा
नव चेतना
नव आराधना, नव स्वप्न
स्वथ्य तन
विश्वस्त प्रण
खाली ना जाय एक भी क्षण
सतत संपन्न रहे अभिजन
बुद्धि, बल, धन से संपन्न
हर क्षण जिते जीवण का रण
हंसी के संग हो शुरूआत हर दिन
हर दिन हो खुशी का संगम
यूं ही महका करे चंदन का वन।।

मंगलवार, दिसंबर 29, 2009

चंचल मन

सब के बीच बैठा हूं
लेकिन वहां नहीं हूं
जहां मैं बैठा हूं
निष्कर्षविहीन बहस निरंतर जारी है
सशरीर उपस्थित हूं
लेकिन मेरा मन
भटक रहा है कहीं और ।

शनिवार, दिसंबर 26, 2009

तेरे नाम पाती

इंतजार, इंतजार और इंतजार
बरस बीत गये इंतजार के
इंतहा हो गये प्यार के
तेरी यादों को सीने में समेट रखा हूं
बस एक यादों के सहारे
अभी तक बैठा हूं
याद आता है तेरा वो मिलना
गोद में सर छिपाकर घंटों बैठना
जिंदगीभर साथ चलने की कसमें खाना
मेरे कहने पर तुम
घर की दहलीज लांघ आती थी
अपना सबकुछ हमारे पास छोड़ जाती थी
मैं वही हूं,
जिसकी तुम शहजादी थी
जिसे अपना हमसफर बनाई थी
हर किसी से हमारे प्यार की
किस्से सुनाया करती थी
अपने आंचल पर मेरा नाम लिखा करती थी
कभी हारने पर तुम्हीं मुझे समझाती थी
भटकने पर राह तुम्हीं दिखाती थी
आज जब तुम्हीं ने मुझे हरा दी हो
किससे सुनाऊं मैं अपना अफसाना
अपलक नेत्रों से बाट जोहती मेरी उम्मीदें
किसी भी आहट पर चौंक उठती है
शायद तुम हो।
और कितना लोगी मेरी परीक्षा
एक बार नजदिक आओ
तुम्हे गले लगाने कि है
मेरी अंतिम इच्छा ।।