हंसते अंधेरे से भयभीत होना छोड़ दो
जीतना है जंग तो आंसू बहाना छोड़ दो।
लूटने आता लुटेरा, आगे बढ़ कर लूट लो़
जिंदा रहने के लिए गिड़गिड़ाना छोड़ दो।
उठने लगता है तो दुश्मन का हाथ काट दो
नपुंसकों की तरह सर झुकाना छोड़ दो।
गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की ठान लो
बलहीन पशुओं की तरह पुंछ हिलाना छोड़ दो।
बेबसी, लाचारी से तुम तोड़ दो रिश्ता
इंसान बन आये हो तो इतिहास लिखकर छोड़ दो।।
रुको ना तुम झूको ना तुम
जवाब देंहटाएंविरागी जीवन त्याग दो
सरस्वती के पुत्र हो
चेतना का साथ दो।
अंकुर कमाल का काम कर रहे हो , करते रहो।
असित नाथ तिवारी