इंतजार, इंतजार और इंतजार
बरस बीत गये इंतजार के
इंतहा हो गये प्यार के
तेरी यादों को सीने में समेट रखा हूं
बस एक यादों के सहारे
अभी तक बैठा हूं
याद आता है तेरा वो मिलना
गोद में सर छिपाकर घंटों बैठना
जिंदगीभर साथ चलने की कसमें खाना
मेरे कहने पर तुम
घर की दहलीज लांघ आती थी
अपना सबकुछ हमारे पास छोड़ जाती थी
मैं वही हूं,
जिसकी तुम शहजादी थी
जिसे अपना हमसफर बनाई थी
हर किसी से हमारे प्यार की
किस्से सुनाया करती थी
अपने आंचल पर मेरा नाम लिखा करती थी
कभी हारने पर तुम्हीं मुझे समझाती थी
भटकने पर राह तुम्हीं दिखाती थी
आज जब तुम्हीं ने मुझे हरा दी हो
किससे सुनाऊं मैं अपना अफसाना
अपलक नेत्रों से बाट जोहती मेरी उम्मीदें
किसी भी आहट पर चौंक उठती है
शायद तुम हो।
और कितना लोगी मेरी परीक्षा
एक बार नजदिक आओ
तुम्हे गले लगाने कि है
मेरी अंतिम इच्छा ।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें