आप में ममत्व है
आप में अपनत्व है
आप के ही तत्व से
मेरा अस्तीत्व है
आपकी करुणा से
आपकी प्रेरणा से
आप की ही रचना से
मेरा व्यक्तित्व है।
आप मेरे इष्ट हैं
आप ही विशिष्ट हैं
आप मेरे द्रोण हैं
और आप ही वशिष्ठ हैं
मां मे भी आप हैं
पिता में भी आप हैं
भाई में भी आप हैं
बहन में भी आप हैं
जिंदगी के हर मोड़ पर
आप मेरे साथ हैं
मेरी हर सांसो पर
आपका अधिकार है
आपकी पूजा से ही
मेरा उद्धार है ।।
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गुरु गोविन्द दोउ खड़े
काके लांगू पांय,
बलिहारी गुरु आपकी
गोविन्द दियो बताय॥
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