लोकसभा चुनाव में मिली हार का असर राजद पर दिखने लगा है। जिस माई समीकरण के बदौलत लालू प्रसाद पंद्रह सालों तक बिहार की कुर्सी पर काबिज रहे, आज उनकी संगठन में ही माई समीकरण प्रभावी नहीं रहा। आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश राजद को पुनर्गठित किया जायेगा। राजद पर से अब माई का प्रभाव हटनेवाला है। रविवार को हुई रघुवंश कमेटी की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसमें प्रदेश संगठन की पचास फीसदी सीटों को दलितों, अति पिछड़ों और पार्टी की अन्य समर्थक जातियों से भरने की नीति पर सहमति बनाई गई । संगठन के नये स्वरूप में ब्राह्मणों और राजपूतों को भी उचित स्थान देने का निर्णय लिया गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि प्रदेश संगठन की 80 फीसदी सीटों पर यादव और मुसलमानों का कब्जा है। जिससे अन्य जातियां मायूस है। बैठक में युवा राजद और छात्र राजद से लेकर पंयायती राज प्रकोष्ठ तक में माई के बाहर के लोगों को रखने का निर्णय लिया गया। वैसे इसका औपचारिक फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद की सहमति के बाद ही होगा। अब देखना होगा कि राजद सुप्रीमो रघुवंश कमेटी के इस फैसले पर अपनी सहमति जताते हैं या नहीं ? वैसे उन्हें को भी इसकी आहट पहले से हो गई थी। यही कारण है कि कभी सवर्णो को सफाया करने की बात कहने वाले लालू प्रसाद सोषल इंजीनियरिंग के तहत सवर्णों को भी आरक्षण देने की बात कह चुके हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें