रामलिंगा राजू को सज़ा मिलनी चाहिए। अवश्य मिलनी चाहिए। और सज़ा कठोर भी होनी चाहिए। सज़ा मिले भी क्यों न? आख़िर उसने पब्लिक के साथ धोखा किया है। उसको ऐसी सज़ा मिले, जिससे दूसरों को सीख मिले। लोगों को लगे कि पब्लिक के साथ ग़लत करने पर ऐसा मेरे साथ भी हो सकता है।
कंपनी के शेयर में सिर्फ लोगों का पैसा ही नही लगा रहता है। साथ में उसकी उम्मीदें भी रहती है। वह भी डूब गयी। सिर्फ शेयर धारकों का ही नही। हजारों की संख्या में नौकरी कर रहे लोगों का भी। हतास से भरे लोग आत्महत्या कर रहे है। कौन है इसका जिम्मेदार ? राजू। जो लोगों के साथ सत्य के नाम पर असत्य का धंधा किया। लोगों को आई टी के क्षेत्र में नई तकनीक सिखानेवाला राजू असल में बहूत बड़ा छलिया निकला। लोगों को ऐसे तकनीक से छला कि किसी को पता तक नहीं चला। और जब पता चला, तब तक सब कुछ लूट चुका था। ऐसे छलिये को तो सज़ा मिलनी ही चाहिए।
राजू की अवस्था देखकर अमिताभ अभिनीत फिल्म अग्निपथ याद आया। उसमे भी पब्लिक के साथ कोई अपना ही धोखा करता है। और अंत में पब्लिक ही उस धोखेबाज़ को सज़ा देती है। मौत से बत्तर सज़ा। फिल्म ख़त्म होते होते दर्शकों के हाथों से आवाज़ निकलने लगती है। होठों पर खुशी की मुस्कान उभर जाती है। और आंखों में आशा की किरणे। लोग धोखेवाजों के साथ वैसी सज़ा की आशा करते है। वैसे आम जनता के साथ धोखा करने वालों की फेहरिस्त छोटी नही है। बहूत लम्बी है। बिहार में बाढ़ आती है तो रोटी देने में धोखा किया जाता है। दिल्ली में घर बांटा जाता है तो उसे देने में धोखा किया जता है। कोई प्रत्यक्ष रूप से, तो कोई अप्रत्यक्ष रूप से धोखा देता है। बेचारी जनता। सब जानती है। पर चुप है। क्योंकि लाचार है। फिल्म देखकर तालियाँ बजाते हुए खुश रहने को मज़बूर है। उसी में अपनी जीत को देखकर बेवस है। अब उन्हें राजू के नाम पर न्याय मिलाने की उम्मीद है। यदि राजू को सज़ा मिल गयी तो एक बार नेताओं को अवश्य मंथन करना होगा। जो जनता को बार बार छलता है। कहीं उनके साथ भी ऐसा न हो............जो ज़रूरी है।
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