आतंकवाद का हमला हो,
या ब्लूलाइन का मामला,
महंगाई की मार हो,
या आर्थिक मंदी का मशला,
ज़िंदगी चलती है, चलती रहेगी।
काम पर सुबह जाना है,
देर शाम लौटना है,
हर दिन जान हथेली पर ले,
डी टी सी पर चढ़ना है।
हर कोई है भीर में,
पहले पहुचने की चाह में,
दूसरों को गिराकर,
हर किसी को जल्दी जाना है।
ठसम ठस भीर में,
धक्के मुक्के के बीच में,
जालसाजों से बचकर
मीलों का सफर तय करना है,
ये जिंदगी चलती है, चलती रहेगी॥
या ब्लूलाइन का मामला,
महंगाई की मार हो,
या आर्थिक मंदी का मशला,
ज़िंदगी चलती है, चलती रहेगी।
काम पर सुबह जाना है,
देर शाम लौटना है,
हर दिन जान हथेली पर ले,
डी टी सी पर चढ़ना है।
हर कोई है भीर में,
पहले पहुचने की चाह में,
दूसरों को गिराकर,
हर किसी को जल्दी जाना है।
ठसम ठस भीर में,
धक्के मुक्के के बीच में,
जालसाजों से बचकर
मीलों का सफर तय करना है,
ये जिंदगी चलती है, चलती रहेगी॥
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