मंगलवार, दिसंबर 23, 2008
आख़िर कब तक ?
१२ दिसम्बर को मै टी वी देख रहा था। जी टीवी पर रियलिटी शो सारेगामापा दे रहा था। कार्यक्रम के नियमानुसार एक प्रतियोगी को वोट आउट कर दिया जाता है। जो पाकिस्तानी है। दर्शक उन्हें कम वोट देते है। इसलिए वह बहार कर दिए जाते है। कार्यक्रम का एंकर बताता है की मुंबई में हुए हमलों के कारन उन्हें कम वोट मिला । एंकर, बहार हुए प्रतियोगी को फिर से येल्लो कार्ड के मध्यम से कार्यक्रम में वापिस बुलाने ली वकालत करता है। मुझे बहूत अजीब सा लगा । ऐसा क्यों कहा जा रहा है ? इसलिए की एक पाकिस्तानी प्रतियोगी होने के नाते उन्हें कम वोट मिला। मुझे ऐसा नही लगता। ख़ैर, यदि यह बात यथाथ भी है तो इस में ग़लत क्या है ? आखिर मानवता के नाते हम कब तक किसी से प्यार करते रहेंगे? हमारा देश, देश के साथ साथ एक परिवार भी है। यह सही है की हमारे परिवार में हमेशा यह संस्कार दिया जाता है की दूसरों का सम्मान करो। आदर करो। पर कब तक? कोई हमारे भाई का कत्ल करे और हम उस कातिल के भाई को घर में बिठा कर प्यार करते रहें। क्यों? हमने हमेशा उस परिवार को स्नेह दिया है। यद्यपि उन लोंगो ने हमेशा दोस्ती के आर में हजारो घाव दिए हैं। हमने हमेशा उस परिवार को इज्ज़त दी है। उदहारण के लिए एक नही सैकरो मिशले है। हमारे देश के तमाम संगीत प्रेमी गुलाम अली को उतना ही प्यार कटा है जितना जगजीत सिंह को। गुलाम अली हर किसी के दिल में चुपके चुपके आकार मुसाफिर की तरह रहते हैं। हमारे यहाँ किसी विशेष प्रोग्राम में उन्हें बुलाया जाता है। हम उन्हें लता मंगेशकर और जगजीत सिंह के साथ बैठते हैं। यहाँ तक की २६/११ के कुछ दिनों के बाद भी गुलाम अली का प्रोग्राम हमारे गृह जिला यानि बिहार में होना था। जिसे घटना के बाद स्थगित कर दिया गया। यही नही अज भी हमारे यहाँ लोगो के जुबान पर अदनान सामी का लिफ्ट ऊपर निचे करता है। दूसरी तरफ क्रिक्केटर वसीम अकरम और इंजमाम उल हक भी इसी क़तर में आते है। हमारे यहाँ घरों में तेंदुलकर के साथ साथ इनका भी पोस्टर चिपके रहते है। हमारे यहाँ एक टीवी चॅनल ने अकरम को बतौर judge भी होस्ट किया है। इस के आलावा उस परिवार के कई ऐसे सदस्य हैं जिनको हमारे परिवार ने एक नम दिया है। लौघ्टर चैलेन्ज में सिरकत करने वाले बहूत सरे लोग है जिन्हें हम लोगो ने सर आँखों पर बैठाया। पर बदले में उस परिवार ने हमें क्या दिया? सिर्फ़ मौत, तबाही और बर्बादी।
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agar aantakvad ko aap kisi majhab ya sampraday ya fir desh se jorkar dekhte hai to malegaon or is blast ke aarop me girftar logo ke vishy me kya kahenge. agar sirf pakistani hone ke karn jahir abbas ko kam vote mile to ye durbhagyapurnay kaha jayega, kyonki singing ek kala hai or kala ka koi jaati, majhab, ya desh ki simaon me badhna galat hoga.
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