कोलावेरी...कोलावेरी। हर किसी की जुबां पर है। हर किसी के मोबाइल पर। कम्प्यूटर के हर सिस्टम पर। म्यूजिक की दुकानों में। कोलावेरी, कोलावेरी हो रहा है। कोलावेरी के सामने ऊ ला ला से लेकर देसी ब्वॉयज तक फेल है। युवाओं का एक बड़ा हिस्सा आजकल कोलावेरिया गया है। इस गाने को लेकर युवाओं में एक अजीब तरह की दीवानगी है। पागलपन है। शहर से होते हुए ये गांव के खेत तक पहुंच चुका है। ये अलग बात है कि गांव के गणेशिया इसे केलावारी...केलावारी गाता है। तो धनबाद के कन्हैया इसे कोलियरी...कोलियरी गाता है....लेकिन, कोलावेरिया वे दोनों भी गया है।
इस गाने में तमिल और इंग्लिश के शब्द हैं। हिंदी इलाके के ज़्यादातर लोग इस गाने को समझते नहीं हैं। लेकिन सुनते हैं। सुनकर थिरकते हैं। वो भी इतने मस्त होकर कि ना जाननेवाला शरमा जाए। दूसरों को सुनने के लिए कहते हैं। एक ने कहा अच्छा है। दूसरे ने उसको फॉलो किया। गाना फेमस हुआ। गानेवाला फेमस हो गया। जिस जिसको पता नहीं था, वे सब जान गये कि तमिल एक्टर धनुष गाते भी हैं। अब तक तो फिल्मों में ही डायरेक्टर के इशारे पर धनुष को तीर छोड़ते हुए देखा था। लेकिन गाना गाकर तो धनुष ने ऐसा तीर छोड़ा कि एक ही दिन में 90 लाख लोग घायल हो गये।
कोलावेरी की इतनी बड़ी सफलता न्यूज़ चैनलों के लिए शोध का विषय बन चुका है। कुछ चैनल इस शब्द का मतलब समझा रहा है। कुछ इस पर विशेष कार्यक्रम बना रहा है। शब्द की उत्पत्ति से लेकर सफलता तक की कहानी। आधे घंटे में। रिमोट अपने हाथ में रखे रहिए। जिन्हें गीत और गाने से मतलब नहीं। वे भी समाचार चैनलों को देख देखकर कोलावेरी...कोलावेरी कर रहे हैं। एक अद्भुद रिश्ता बन गया है कोलावेरी के साथ। रात में सपनों मे भी मुंह से कोलावेरी ही निकलता है। अगर आप भी कोलावेरी..कोलावेरी करते हैं तो ठीक है। वरना सीख लीजिए। नहीं तो आगे चलकर मुश्किलें हो सकती है। क्योंकि ये गाना और गाना सुननेवालों की तदाद को देखते हुए जल्द ही सदन में कुछ नेता इसे राष्ट्रीय गीत...मां देवी की स्तुति या फिर स्कूल की प्रार्थना के तौर पर लागू करने की मांग करनेवाले हैं।