फरवरी 2015 में संपन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव में एक से बढ़कर एक रिकॉर्ड कायम हुए। वोटिंग से लेकर काउंटिंग दिन तक रिकॉर्ड बनते रहे। दिल्ली में पहली बार चुनाव के घोषणा होने के इतने कम दिनों में विधानसभा का चुनाव हुआ। दिल्ली में पहली बार 67 फीसदी वोटिंग हुई थी। जो पिछली बार की अपेक्षा एक फीसदी अधिक थी। वोटिंग दिन बूथ पर लगी भीड़ को देखकर ही अंदाजा लग चुका था कि इस बार सबसे ज्यादा वोटिंग होगी।
इस बार महज 20 दिन के अंदर तमाम राजनैतिक पार्टियों ने 21 हजार 700 चुनावी रैलियां की। जबकि 18 सौ से ज्यादा रैलियों की अनुमति चुनाव आयोग ने नहीं दी। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
पहली बार दिल्ली में वोटर लिस्ट में 1,33,09,078 मतदाताओं के नाम दर्ज थे।
दिल्ली में पहली बार किसी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर दर्ज की। वो भी उस पार्टी ने जो जिसका जन्म महज सवा दो साल पहले हुई थी। आम आदमी पार्टी दिल्ली में दूसरी बार चुनाव लड़ रही थी। पिछली बार विधानसभा का चुनाव लड़ी थी। उसके बाद लोकसभा का चुनाव और फिर विधानसभा का चुनाव।
इस बार दिल्ली विधानसभा में सबसे ज्यादा युवा चुनकर पहुंचे हैं। ज्यादातर विधायकों की औसत आयु 40 साल के नीचे हैं। सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक इस बार दिल्ली विधानसभा पहुंचे हैं।
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि 15 साल तक लगातार सत्ता पर काबिज रहनेवाली पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई। कांग्रेस के 70 में से 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यहां तक कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की भी जमानत जब्त हो गई। जिस पार्टी की देशभर में लहर थी। जो एक के बाद एक राज्य जीत रही थी। वो दिल्ली में महज तीन सीटों पर सिमट गई।
दिल्ली में पहली बार पूर्वांचल के उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। पहली बार बिहार से ताल्लुक रखनेवाले 5 विधायक एक साथ विधानसभा में रहेंगे।
देश में पहली बार हो रहा है जब कोई मुख्यमंत्री खुद रेडियो पर एड देकर अपने शपथग्रहण समारोह में लोगों को बुला रहा है। शपथ ग्रहण समारोह 14 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा। जहां करीब एक लाख लोगों के लिए व्यवस्था की गई है।
इस बार विधानसभा चुनाव में 673 उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें सिर्फ 19 महिलाएं थी। जिसमें 6 महिलाओं ने जीत दर्ज की। ये सभी महिलाएं एक ही पार्टी 'आप' की उम्मीदवार थीं।
इस बार महज 20 दिन के अंदर तमाम राजनैतिक पार्टियों ने 21 हजार 700 चुनावी रैलियां की। जबकि 18 सौ से ज्यादा रैलियों की अनुमति चुनाव आयोग ने नहीं दी। जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है।
पहली बार दिल्ली में वोटर लिस्ट में 1,33,09,078 मतदाताओं के नाम दर्ज थे।
दिल्ली में पहली बार किसी पार्टी ने 70 में से 67 सीटों पर दर्ज की। वो भी उस पार्टी ने जो जिसका जन्म महज सवा दो साल पहले हुई थी। आम आदमी पार्टी दिल्ली में दूसरी बार चुनाव लड़ रही थी। पिछली बार विधानसभा का चुनाव लड़ी थी। उसके बाद लोकसभा का चुनाव और फिर विधानसभा का चुनाव।
इस बार दिल्ली विधानसभा में सबसे ज्यादा युवा चुनकर पहुंचे हैं। ज्यादातर विधायकों की औसत आयु 40 साल के नीचे हैं। सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे विधायक इस बार दिल्ली विधानसभा पहुंचे हैं।
देश के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि 15 साल तक लगातार सत्ता पर काबिज रहनेवाली पार्टी को एक भी सीट नहीं मिल पाई। कांग्रेस के 70 में से 63 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई। यहां तक कि मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की भी जमानत जब्त हो गई। जिस पार्टी की देशभर में लहर थी। जो एक के बाद एक राज्य जीत रही थी। वो दिल्ली में महज तीन सीटों पर सिमट गई।
दिल्ली में पहली बार पूर्वांचल के उम्मीदवारों का दबदबा रहा है। पहली बार बिहार से ताल्लुक रखनेवाले 5 विधायक एक साथ विधानसभा में रहेंगे।
देश में पहली बार हो रहा है जब कोई मुख्यमंत्री खुद रेडियो पर एड देकर अपने शपथग्रहण समारोह में लोगों को बुला रहा है। शपथ ग्रहण समारोह 14 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में होगा। जहां करीब एक लाख लोगों के लिए व्यवस्था की गई है।
इस बार विधानसभा चुनाव में 673 उम्मीदवार मैदान में थे। जिसमें सिर्फ 19 महिलाएं थी। जिसमें 6 महिलाओं ने जीत दर्ज की। ये सभी महिलाएं एक ही पार्टी 'आप' की उम्मीदवार थीं।