शनिवार, जून 06, 2009

रोमांचक आगाज
विश्व कप टी-ट्वेंटी उद्घाटन मैच में हाॅलैेड ने इंग्लैंड पर शानदार जीत दर्ज की। क्रिकेट के जानकार इसे बड़ा उलटफेर मान रहे हैं, लेकिन सच बात तो ये है कि यही टी-20 क्रिकेट की असली पहचान है। मैच कब और किस ओर रूख करेगी यह अंतीम गेंदो तक निर्भर करता है। टुर्नामेंट के पहले मैच ने यह संकेत दे दिया है कि किसी भी टीम को कम आंकना विरोधी टीम के लिए मुश्किल का सबब हो सकता है। क्रिकेट के इस सब से छोटे फाॅरमेट में मैच अनुभव से नहीं बल्कि आक्रमकता से जीता जाता है और इंग्लैड के खिलाड़ियों में इसी आक्रमकता का अभाव दिखा। खासकर मैच के अंतीम ओवर में चार बार ऐसा मौका आया जब हाॅलैंड के बैट्समेन को आउट कर इंग्लैंड मैच जीत सकता था, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। बहरहाल जो भी हो लेकिन के पहले मैच से ही साफ हो गया कि विश्वकप 2009 काफी रोमांचक होने वाला है।

बुधवार, जून 03, 2009

मीरा बनी स्पीकर


सासाराम संसदीय क्षेत्र से सांसद बनी मीरा कुमार आज लोकसभा स्पीकर बन गई हैं। लोकसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन होने वाली वह पहली महिला हैं। 64 वर्षीय मीरा कुमार को निर्विरोध रूप से चुना गया है। संसद की बैठक में यूपीए अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कुमार के नाम का प्रस्ताव किया अkSर नेता प्रतिपक्ष लालकृष्ण आडवाणी ने उनके नाम का समर्थन किया। लोकसभा के नेता प्रणव मुखर्जी की अगूवाई में यूपीए के प्रतिनिधिमंडल ने एक दिन पहले लोकसभा सेक्रेटरी पीडीटी आचारी के समक्ष नामांकन प़त्र दाखिल किया था।
मीरा कुमार को राजनीति विरासत में मिली है। कुमार देष के पूर्व उपप्रधानमंत्री और दलित नेता जगजीवन राम की बेटी हैं। उनको कांग्रेस हमेषा से एक दलित नेता के रूप सामने लाती रही है। कांग्रेस अपने संगठन में जिन चार नेताओं को दलित के नुमाइंदे के रूप में सामने लाती है, उसमें सुषील कुमार सिंदे, कुमारी शैलजा, कृष्णा तिरथ के साथ मीरा कुमार का नाम आता है। मीरा कुमार को लोकसभा अध्यक्ष बना कर कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने एक तीर से दो निषान कर लिए हैं। पहली बात तो किसी उच्च संवैधानिक पद पर महिला को आसीन करा कर महिलाओं का दिल जीत ली है, वहीं मायावती और रामविलास पासवान को करारा जवाब दिया है, जो अपने को दलितों का मसीहा मानते हैं।
31 मार्च 1945 में पटना में जन्मी मीरा कुमार ने दिल्ली विष्वविधालय से अंग्रेजी भाषा में एमए और फिर एलएलबी की डिग्री हासिल की थी। मीरा कुमार ने मंजुल कुमार नामक व्यक्ति से शादी की, जो सुप्रीम कोर्ट के एक जानेमाने वकील हैं।

मीरा कुमार 1973 में भारतीय विदेष सेवा में शामिल हुई। वह स्पेन, यूनाइटेड किंगडम और माॅरिसस के राजदूतावास में काम की। मीरा लंदन में भारतीय हाई कमीषनर रह चुकी हैं। 1985 में नौकरी छोड़कर मीरा कुमार ने राजनीति में प्रवेष किया और उसी साल बिजनौर से लोकसभा के लिए चुनी गई। वह ग्यारहवीं और बारहवीं लोक सभा के लिए करोलबाग संसदीय क्षेत्र से चुनी गई, लेकिन 1999 में हार गई। फिर 2004 में वह अपने पिता के संसदीय क्षेत्र सासाराम से चुनाव लड़ी, जिसमें उन्हें रिकाॅर्ड मतों से जीत हासिल हुइ। जब 2004 में केन्द्र में कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए की सरकार बनी तो मीरा कुमार को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनाया गया। मीरा कुमार इस बार भी सासाराम से ही चुनाव जीती और उन्हें केन्द्रीय जल संसाधन मंत्रालय की जिम्मेवारी सौंपी गई, लेकिन एक बड़ी राजनीतिक चाल के तहत मीरा कुमार को लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए नमित किया गया और वह निर्विरोध चुन ली गई। इस तरह देष के पहली महिला स्पीकर के साथ-साथ कुमार देष का पहला दलित स्पीकर भी बन गई।
मीरा कुमार सामाजिक मामलों में भी आगे बढ़कर बोलती रही है। 2007 में जब अर्जुन सिंह ने ओबीसी को आरक्षण देने की बात कही थी तो मीरा ने उनका भरपूर समर्थन किया था। मीरा कुमार की हमेषा से मांग रही है कि अंतरजातीय विवाह करने वाले लोगों को पचास हजार रूपये देने के लिए कानून बनाया जाय। मीरा कुमार के बारे में दो खास बातें और भी है। पहली बात कि वह बतौर स्पोर्ट्समेन राइफल शुटिंग में मेडल जीत चुकी हैं। दूसरी बात यह कि वह एक कवियत्री भी हैं।
अपनी जिंदगी में कई महत्वपूर्ण फैसला कर चुकी मीरा कुमार अब नये रूप में सामने आई हैं। नये पद संभलने के बाद उनको नई चुनौतियों से भी सामना करना पड़ेगा। अब देखना होगा कि मीरा कुमार अपने पद की गरिमा को बनाये रखते हुए कितनी सफलता पूर्वक कार्यों को पूरा करती है।

मंगलवार, जून 02, 2009

पटना म्यूजियम का हाल, बेहाल.......

विश्व के प्रमुख संग्रहालयों में से एक पटना म्यूजियम में ऐतिहासिक धरोहरों का भंडार है। यहां विश्व की कई अदभुद कलाकृतियां रखी गई है। , पटना म्यूजियम में सदियों पुरानी अष्ठधातु और प्रस्तर की दुर्लभ मूर्तियां है। यहां पर पुराने जमाने की चीजें और कलाकृतियों का अच्छा-खासा संग्रह है। पटना म्यूजियम में लोहानीपुर से प्राप्त जैन तीर्थंकर की कलाकृति और मौर्यकालीन मूर्तियां रखी गई है, जो विश्व की दुलर्भ कलाकृति है। यहां मिट्टी की मूर्तियों का बहुत बड़ा भंडार है। पटना म्यूजियम में मौर्यकाल से लेकर पालकाल तक के अति दुर्लभ शिल्प कलाएं संग्रहित है। यहां पर नालंदा से प्राप्त धातु षिल्पकला की मूर्तियां अपने कालात्मक सौंदर्य के कारण विष्व की दुर्लभ कलाकृतियों में षुमार है। विश्व के अन्य देशों में जब कला या पुरातत्व सामग्रियों की पद्रर्शनी होती है तो पटना संग्रहालय की कलाकृतियों को भी शामिल किया जाता है। यही कारण है कि यहां पर देश-विदेश से पुरातत्वविद अनुसंधान करने के लिए आते रहते हैं। पटना म्यूजियम में इतने विश्वस्तरीय ऐतिहासिक धरोहर का रहने के बावजूद यहां पर विश्व मानक के अनुसार सुविधाएं नहीं है। दुर्लभ और पुरानी कलाकृतियां रहने के बावजूद इसको सही ढ़ंग से रखा नहीं गया है। म्यूजियम कैंपस में पीने के पानी और शौचालय की उचित व्यवस्था भी नहीं हैं, जिससे यहां घूमने के लिए आने वाले पर्यटकों को भारी परेशानी होती है। पटना म्यूजियम में रखे गये देश की इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने की आवश्यकता है। साथ ही जरूरत है सरकार की एक ऐसी पहल की , जिससे यहां आनेवाले पुरातत्वविद और पर्यटकों को परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े।

सोमवार, जून 01, 2009

राजद में फेरबदल

लोकसभा चुनाव में मिली हार का असर राजद पर दिखने लगा है। जिस माई समीकरण के बदौलत लालू प्रसाद पंद्रह सालों तक बिहार की कुर्सी पर काबिज रहे, आज उनकी संगठन में ही माई समीकरण प्रभावी नहीं रहा। आगामी विधान सभा चुनाव को देखते हुए प्रदेश राजद को पुनर्गठित किया जायेगा। राजद पर से अब माई का प्रभाव हटनेवाला है। रविवार को हुई रघुवंश कमेटी की बैठक में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। जिसमें प्रदेश संगठन की पचास फीसदी सीटों को दलितों, अति पिछड़ों और पार्टी की अन्य समर्थक जातियों से भरने की नीति पर सहमति बनाई गई । संगठन के नये स्वरूप में ब्राह्मणों और राजपूतों को भी उचित स्थान देने का निर्णय लिया गया। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि प्रदेश संगठन की 80 फीसदी सीटों पर यादव और मुसलमानों का कब्जा है। जिससे अन्य जातियां मायूस है। बैठक में युवा राजद और छात्र राजद से लेकर पंयायती राज प्रकोष्ठ तक में माई के बाहर के लोगों को रखने का निर्णय लिया गया। वैसे इसका औपचारिक फैसला राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद की सहमति के बाद ही होगा। अब देखना होगा कि राजद सुप्रीमो रघुवंश कमेटी के इस फैसले पर अपनी सहमति जताते हैं या नहीं ? वैसे उन्हें को भी इसकी आहट पहले से हो गई थी। यही कारण है कि कभी सवर्णो को सफाया करने की बात कहने वाले लालू प्रसाद सोषल इंजीनियरिंग के तहत सवर्णों को भी आरक्षण देने की बात कह चुके हैं।