रविवार, अप्रैल 26, 2009

राबड़ी का गुस्सा

आजकल राबड़ी देवी बहुत गुस्से में रहती है....खासकर मीडियावालों से विशेष नाराज रहती है...उनकी माने तो बिहार सरकार को मीडिया ही चला रही है.....वह कभी इतना गुस्सा जाती है कि पत्रकारों से कहती है आपलोग नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बना दो...मीडियावाले उनकी व्यथा को अच्छी तरह समझ सकते हैं.....एक तो चिलचिलाती धूप की तपिश....उपर से चुनावी गर्मी...घुमते घुमते किसी का भी मन खिज सकता है....खासकर वे लोग जिन्हें हमेशा एयरकंडिशनर में रहने की आदत है....उनको गुस्सा आना स्वभाविक है.....अपने ठेठ अंदाज के लिए चर्चित राबड़ी चुनावी रैलियों में जमकर भड़ास निकाल रही हैं.....विशेषकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जद यू नेता ललन सिंह उनके निशाने पर हैं.....नीतीश और ललन सिंह को एक दूसरे का साला बताने पर उठे विवाद के बाद राबड़ी को जब चुनाव आयोग ने राहत दी.....उसके बाद वह एक नये अंदाज में सामने आई....उन्हें जब भी मौका मिलता है...नीतीश और ललन सिंह केा नहीं छोड़ती....एक दिन उन्होंने नीतीश कुमार की तुलना किचड़ से कर डाली....फिर भी नहीं रूकी और अपने मुख्यमंत्री को नीच तक कह डाला......ये तो कुछ भी नहीं था....जब बारी ललन सिंह की आई तो पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह नक्सलवादी हैं....खैर नेताओं का अंदाज-ए -बयां कुछ खास होता है......नक्सली और बाहुवलियों के पत्नियों को टिकट देकर नेता बनाते हैं....और नेतााओं को नक्सली बताते हैं.....इसे ही नेतागिरी कहते हैं.....राबड़ी देवी भी अब नेता बन चुकी है......चुनाव अभी जारी है....और राबड़ी का अपना गंवई अंदाज में भाषण भी....कोई आश्चर्य नहीं होगा..जब राबड़ी जी किसी चुनवी मंच से रांड़ी, बेटखौकी कर रही होगी.......

शनिवार, अप्रैल 25, 2009

सब के दुश्मन भाजपाई....

अपने मजकिया अंदाज से लोगों के दिलांे पर राज करनेवाले लालू प्रसाद यादव कुछ बदले बदले से नज़र आ रहे हैं.....1990 के बाद बिहार में पहला ऐसा चुनाव हो रहा है जब राज्य में उनकी सरकार नहीं है...इसका असर साफ तौर पर राजद सुप्रीमो के हावभाव पर देखा जा सकता है....हमेशा आत्मविश्वास से भरे रहनेवाले लालू इस बार हताश है...परेशान हैं...और बहुत हद तक निराशाओं की झलक, उनके भाषणों में दिखती है...कभी कभी तो ऐसा लगता है कि लालू सठिया गये हैं...वोटों के जुगाड़ में वह वे बाते भी कह जाते हैं...जो उनके लिए सिरदर्द बन जाती है...कभी वह वरूण गांधी पर रोलर चलाने की बात कहते हैं....तो कभी कहते हैं कि भागलपुर दंगे में आडवाणी का हाथ है.... माय समीकरण बनाकर बिहार की सत्ता पर काबिज होने बाले लालू स्लोगन बनाने में भी माहीर है....बहुत दिन पहले वह भूरा बाल साफ करो का नारा बुलंद किया....फिर समाज के चार जातियों के बारे में कहा था कि ये चारो चुड़ा, दही, चिनी और मिर्च है, इसे लपेट कर खा लो....खैर ये तो पुरानी बातें हो गई...इस बार उनके निशाने पर भाजपाई हैं...और उन्होंने भाजपाइयों के लिए कहा है कि, हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई...सब के दुश्मन भाजपाई.... वैसे उनके निशाने पर सिर्फ भाजपाई या एनडीए नहीं है....वह तो उस पार्टी पर भी बरस पड़ते हैं...जिसके सरकार में वह मंत्री हैं....एक तो चिलचिलाती धूप की गर्मी...साथ में चुनाव की गरमाहट अलग से.....बैसाख के कंठ सुखानेवाली गर्मी में चलते चलते लालू जी कभी कभी तो इतना गरमा जाते हैं कि पहुंचते हैं चुनाव में वोट जुटाने के लिए....और गुस्से में अपने विधायक को पार्टी से निकाल देते हैं...... अब तो दो जून को ही पता चलेगा... कि लालू के गरम हुए मिजाज पर सूबे की जनता ठंढ़ पानी छिड़कती है....या गरम पानी..